एक साल बीता, नहीं बन पाए प्रभारी मंत्री, कैसे मिले गुना के विकास को तेजी
-कई विभागीय प्रोजेक्ट को नहीं मिल पा रही स्वीकृति
जल्द शुरू होने है जिला स्तर पर तबादले
एक साल बीता, नहीं बन पाए प्रभारी मंत्री, कैसे मिले गुना के विकास को तेजी
गुना। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद गुना जिला बगैर प्रभारी मंत्री के है जिससे जिला योजना समिति की बैठक नहीं हो पा रही है। जिसकी वजह से बड़ी-बड़ी परियोजनाओं की स्वीकृति अधर में लटकी हुई है। इससे जिले का विकास रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। जबकि बीते ही रोज कोरोना संक्रमण काल के बढ़ते प्रभाव को देखकर कोविड संबंधी जिले में व्यवस्थाएं करने आदि के लिए मंत्रियों को जिले के प्रभार तो बांट दिए हैं, लेकिन वे कोविड के अलावा विकास संबंधी प्रस्तावों पर कोई निर्णय नहीं ले पाएंगे। प्रभारी मंत्रियों की नियुक्तियों न होने के पीछे भाजपा की आपसी गुटबाजी बताई जा रही है।
सूत्रों ने बताया कि कृषि, स्वास्थ्य, पीडब्ल्यूडी सहित अन्य विभागों की नई योजनाओं की स्वीकृति के लिए प्रभारी मंत्री का अनुमोदन लेना होता है। जिला स्तर पर तबादले में कलेक्टर, एसपी सहित अन्य विभागों के प्रमुख अधिकारी के साथ-साथ मुख्य भूमिका प्रभारी मंत्री की होती है। प्रभारी मंत्री जिला योजना समिति, सड़क सुरक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य समितियों का अध्यक्ष होता है। कोरोना काल में भी बगैर प्रभारी मंत्री के कई विभागीय कार्य व प्रोजेक्ट प्रभावित होते रहे। कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम अपने स्तर पर गुना शहर और जिले के विकास की दिशा में काम करा रहे हैं, लेकिन कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर निर्णय नहीं हो पा रहा है।
बताया जाता है कि प्रभारी मंत्री के न होने पर जिलों पर नजर रखने के लिए सचिव स्तर के आईएएस अफसरों को जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन गुना के लिए नियुक्त प्रभारी अधिकारी कोई रुचि नहीं ली।
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