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गुना

तालाब में डूबने से दो बच्चियों की मौत, पीएम के लिए भेजा शव

कैंट थाना क्षेत्र के मोहरी तालाब की घटना….

गुनाOct 22, 2018 / 10:18 am

Amit Mishra

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तालाब में डूबने से दो बच्चियों की मौत, पीएम के लिए भेजा शव

गुना @मोहर सिंह लोधी की रिपोर्ट….

जिला मुख्यालय से करीब 13 किमी दूर मोहरी गांव के तालाब में रविवार को दोनों बच्चियों के शव मिल गए हैं। शनिवार को करीब 11 बजे से दोनों बच्ची गायब थीं।
करीब 27 घंटे बाद दोनों के शव उतराते हुए तालाब किनारे दिखाई दिए। बालिकाएं मूर्ति के श्रृंगार का सामान बीनने तालाब में उतरी थी और गहरे गड्ढे में जाने से डूब गईं और उनकी जान चली गई।


एक बालिका का शव हाथ में बांसुरी पडे हुए मिला है। घटना के बाद से ही कैंट पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी और रेस्क्यू टीम तालाब में बच्चियों को तलाशती रही, लेकिन जहां से पुलिस ने कपड़े बरामद किए, उस जगह से करीब 200 मीटर दूरी पर बच्चियों के शव मिले हैं।

पुलिस ने शवों को निकालकर पीएम के लिए जिला अस्पताल भेजा। उधर, बच्चियों के परिजनों को रो-रोकर बुरा हाल है। इस दौरान टीआई उमेश मिश्रा, आरआई केएन साहू, कमांडेंट सुमन बिसोरिया सहित कई अधिकारी मौके पर पहुंचे।

दो साल डूबे थे एक साथ सात बच्चे….
करीब दो साल पहले नवरात्रि के कुछ दिन पहले ही ललुआ टोरा में सात बच्चों के डूबने से मौत हुई थी। यहां क्रेशर की खुदाई से काफी गहरे गड्ढे हो गए थे।

बच्चों की मौत के बाद क्रेशर संचालकों को माइनिंग विभाग ने नोटिस दिए, लेकिन सुरक्षा के इंतजाम फिर भी नहीं हुए। बच्चों की मौत के बाद ही सुरक्षा की खामी उजागर होती होती है।

बड़ी छटीं, छोटी दूसरी कक्षा में पढ़ती थी….
मोहरी गांव निवासी प्रशन्न पुत्री कृष्णभान यादव (10) कक्षा 6 में पढ़ती थी और रौनक पुत्री दिनेश यादव (8) दूसरी कक्षा में पढ़ती थी। दोनों चचेरी बहने हैं और उनके माता-पिता छोटे किसान हैं। एक खेती करता है तो दूसरे का छोटा से दूध का कारोबार है।

जान गंवा दी, लेकिन बांसुरी नहीं छोड़ी….
दुर्गा विसर्जन की श्रृंगार का सामान बीनने तालाब में उतरी दोनों बालिकाओं के शव करीब 27 घंटे के बाद तालाब के किनारे उतराते हुए ऊपर आ गए हैं। एक बालिका हाथ में बांसुरी पकड़े हुए थी। उसकी जान चली गई, लेकिन उसने बांसुरी को नहीं छोड़ा।

ग्रामीणों ने बताया, दो दिन पहले ही तालाब में तीन मूर्तियों का विसर्जन तालाब में किया गया था। इसके अलावा भी बच्चियों ने दूसरी सामग्री भी मूर्तियों से बीनी, लेकिन मूर्तियों का सामान उठाना, उनकी जान पर भारी पड़ गया।

दोपहर बाद इस तालाब पर कोई नहीं जाता है। गांव में हैंडपंप हैं, इस कारण से तालाब पर लोग नहाने भी नहीं जाते। तालाब पर नहाने के लिए पत्थर भी नहीं है।

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