गुडगाँव

विधानसभा चुनाव 2019: चुनावी दौर में पराली के धुएं से मुंह छिपा रहे नेता

अक्टूबर-नवम्बर माह में हरियाणा-पंजाब में पराली जलाने पर प्रदूषण का स्तर बढऩे से श्वास लेना दूभर हो जाता है। हरियाणा में हाल ही पीएम मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह सहित तमाम नेता आए, लेकिन किसी ने समाधान पर बात नहीं की।

गुडगाँवOct 17, 2019 / 11:59 pm

Devkumar Singodiya

चुनावी दौर में पराली के धुएं से मूंह छिपा रहे नेता

गुरुग्राम. राजधानी दिल्ली सहित एनसीआर और हरियाणा-पंजाब में फिर से धुआं के बादल बनने लगे हैं। दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में तो दिनभर सफेद बादल बने रहते हैं। हालांकि प्रदूषण की यह समस्या इस साल की नहीं है, बल्कि हर साल अक्टूबर माह में प्रदूषण का स्तर दिल्ली एनसीआर में बढ़ जाता है। इसके कई कारणों में से प्रमुख कारण हरियाणा और पंजाब के खेतों में पराली जलाना है।

किसी ने नहीं उठाई समस्या

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हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यहां राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और आसपास के दूसरे राज्यों से कई नेता भाषण देने के लिए पहुंच रहे हैं। ये अपने भाषण में रोजगार, पेयजल, नहरी जल, चिकित्सा और शिक्षा सहित दर्जनों सेवाओंं के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन एक भी नेता पराली जलाने और इससे होने वाले प्रदूषण के बारे में नहीं बोल रहा है।

केजरीवाल ने उठाया था मुद्दा

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हरियाणा पंजाब में पराली जलाने से सबसे अधिक परेशानी दिल्ली के लोगों को होती है। आगामी दिनों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में सांस लेने में भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इससे चिंतित केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी सहित हरियाणा और पंजाब के सीएम पत्र लिखकर इस समस्या से निपटने में सहयोग का आग्रह किया है।

पानी के टैंकर शुरू किए केजरीवाल ने

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केजरीवाल ने इससे निपटने के लिए दिल्ली में पानी के टैंकर शुरू किए हैं, जो बारीक बूंदों का फव्वारा वातावरण में छोड़ते हैं। इससे धूल और अन्य कण गीले होकर नीचे बैठ जाते हैं। सड़क किनारे लगे पेड़ के पत्तों पर भी पानी का छिड़काव किया जा रहा है, ताकि हवा चलने के दौरान उन पर जमे धूल के कण उड़े नहीं।

रोक के बावजूद किसान जला रहे पराली

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अब खेतों में धान की कटाई मशीनों से की जाने लगी है। मशीन से धान का पौधा काटने के दौरान उसका बड़ा हिस्सा जमीन में रह जाता है। किसान भी इसे निकालने के बजाए जला देते हैं। इसे ही पराली जलाना कहते हैं। इस बारे में एनजीटी ने आदेश जारी कर पराली जलाने पर रोक लगाई है, लेकिन सच्चाई यह है कि पंजाब और हरियाणा के खेतों में बड़े पैमाने पर पराली जलाई जा रही है।

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