वहीं दूसरी ओर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण जमीन पर बिल्डर को लाईसेंस देने का मामला अब दिल्ली मुख्यमंत्री के दरबार में भी पहुंच गया है और अब इस घोटाले को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनावों में भुनाने की तैयारी में हैं। यहा तक कि गुरूग्राम के इस घोटाले का मामला लोकसभा में उठाने की तैयारी भी हो रही है।
यह हैं आरोप
दो बड़े नेताओं की सांठ-गांठ से हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण एचएसवीपी की तीन दशक पहले अधिग्रहित जमीन पर बिल्डर को लाईसेंस जारी कर दिया गया। इस मामले में एचएसवीपी के अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक सवाल उठाए गए। पूरे प्रकरण में 300 करोड से अधिक के घोटाले का आरोप है। डिप्टी मेयर के पति व भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री अनिल यादव भी इस घौटाले के लेकर पत्रकार वार्ता कर चुके हैं।
यह है पृष्ठभूमि
1977 से 1983 के बीच गुरूग्राम गांव की जमीन अधिग्रहित की गई। इस जमीन का तय मुआवजा व बाद में हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बढ़ा हुआ मुआवजा भी दे दिया गया, जिसके बाद हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने इस जमीन को अपने कब्जे में लेकर सेक्टर 12 व 12 ए विकसित कर लोगों को प्लॉट अलॉट कर दिए। करीब साढ़े तीन एकड़ एचएसवीपी की मिलकियत वाली जमीन खाली पडी रही। आरोपों का सिलसिला यहीं से शुरू हुआ। आरोप है कि भूमाफिया की नजर इस जमीन पर पडी तो सत्तासीन सरकार के एक मंत्री के साथ मिलीभगत कर पुराने मालिकों के मार्फत एचएसवीपी में मुआवजा राशि पुनः जमा करवा दी और कुछ अफसरों से मिलीभगत करके इस जमीन पर वर्ष 2015 में ग्रुप हाउसिंग का लाईसेंस जारी कर दिया गया।