अब दुबई में गाडिय़ां दौड़ा सकेंगे हमारे ड्राइवर
कौशल विकास विभाग ने शुरू किया ड्राइवर स्किलिंग प्रोग्राम, पहले चरण में 5000 युवाओं को बयाना जाएगा निपुण
चंडीगढ़। हरियाणा के युवा आने वाले कुछ दिनों में दिल्ली-मुंबई ही नहीं दुबई की सडक़ों पर गाडिय़ां दौड़ाते नजऱ आएंगे। पहले चरण में कार व जीप सहित हल्के वाहन चलाने वाले 5000 ड्राइवरों को ट्रेंड किया जाएगा। इन्हें न केवल आधुनिक गाडिय़ों के चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी बल्कि उन्हें अपने मालिक और सवारियों के साथ बोल-चाल और व्यवहार में भी निपुण बनाया जाएगा।
यह बीड़ा उठाया है राज्य के कौशल विकास तथा औद्योगिक विकास विभाग ने। उद्योग एवं वाणिज्य तथा औद्योगिक विकास मंत्री विपुल गोयल ने आज यहां जारी एक जानकारी में बताया कि ड्राइवर स्किलिंग प्रोग्राम के तहत 42 घंटे के इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में 30 घंटे जहां थ्योरी के होंगे वहीं 12 घंटे प्रेक्टिकल के होंगे। प्रोग्राम को सिरे चढ़ाने के लिए सरकार प्रदेशभर में चल रहे 262 ड्राइविंग स्कूलों का सहारा लेगी।
ड्राइविंग स्कूलों को रजिस्ट्रेशन कराने को कहा गया है। इसमें शर्त यह होगी कि संबंधित स्कूल के पास तीन कार होनी अनिवार्य हैं और ये सभी 2013 के बाद की होनी चाहिएं। दो कार मैन्युअल और एक आटो-मैटिक होगी। ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल संचालकों को प्रति ड्राइवर के हिसाब से सरकार 4000 रुपए की राशि का भुगतान करेगी।
युवाओं को सभी प्रकार के हल्के आधुनिक वाहनों को चलाने में ट्रेंड किया जाएगा। इसके अलावा उन्हें अपने मालिकों व यात्रियों के साथ बोल-चाल और व्यवहार के तौर-तरीकों के बारे में भी बताया जाएगा। ड्राइविंग ट्रेनिंग में वहीं युवा भाग ले सकेंगे जो कम से कम 8वीं पास होंगे। हरियाणा के अलावा दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों व विदेशों में ट्रेंड ड्राइवरों की डिमांड को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
तीन चरणों में चलेगा प्रोग्राम
दूसरे चरण में हल्के कमर्शियल वाहनों और तीसरे में हेवी वाहनों की ट्रेनिंग दी जाएगी। हल्के कमर्शियल वाहनों की ट्रेनिंग लेने वाले युवाओं की 48 घंटे की ट्रेनिंग होगी और इसके लिए ड्राइविंग स्कूल को प्रति ड्राइवर के हिसाब से सरकार 6504 रुपए अदा करेगी। हेवी वाहनों के लिए ट्रेनिंग 50 घंटे की होगी और इसके लिए 11 हजार 650 रुपए प्रति ड्राइवर के हिसाब से दिया जाएगा।
सरकार बनवाएगी लाइसेंस
इस प्रोग्राम के तहत ड्राइविंग की ट्रेनिंग लेने वाले युवाओं के लाइसेंस भी सरकार द्वारा बनवाई जाएंगे। इसके लिए उन्हें सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने होंगे। कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग द्वारा ही ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन युवाओं के ड्राइविंग लाइसेंस बनवाए जाएंगे।
कॉट्स
अपने यहां के अलावा विदेशों में भी ट्रेंड ड्राइवरों की डिमांड को देखते हुए यह प्रोग्राम शुरू किया गया है। हमारी कोशिश है कि बेरोजगार युवाओं को उनके पैरों पर खड़ा किया जाए। ड्राइविंग के साथ-साथ युवाओं को वाहनों की मरम्मत का भी थोड़ा-बहुत ज्ञान दिया जाएगा ताकि वे गाडिय़ों को वे ठीक भी कर सकें। इसके लिए मारुति सहित कई कंपनियों से बातचीत चल रही है।-विपुल गोयल, उद्योग तथा कौशक विकास मंत्री।