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इससे पहले 3 जुलाई 2018 को ब्रू-शरणार्थियों को वापिस मिज़ोरम में बसाने के लिए एक बहुपक्षीय समझौता हुआ था लेकिन यह समझौता कारगर नहीं हो सका। केन्द्रीय गृहमंत्रालय की सहमति से मिज़ोरम और त्रिपुरा सरकार ने अक्तूबर 2019 में त्रिपुरा के राहत शिविरों में रह रहे 35 हजार ब्रू-शरणार्थियों को वापिस मिज़ोरम में भेजने की प्रक्रिया का 9वां और आखरी चरण शुरू किया था। लेकिन अधिकतर ब्रू-शरणार्थियों ने मिज़ोरम लौटने से इंकार कर दिया। दिसम्बर 2019 में त्रिपुरा सरकार और ब्रू-शरणार्थी मंच के बीच बातचीत के बाद राज्य कैबिनेट ने ब्रू-शरणार्थियों को मिज़ोरम में वापिस न भेजने और त्रिपुरा में ही स्थायी तौर पर बसाने का एक प्रस्ताव पास किया था। त्रिपुरा सरकार के इस प्रस्ताव को केंद्रीय गृहमंत्रालय ने भी स्वीकार कर लिया।
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यह था मामला…
लगभग 35 हजार मिज़ोरम के ब्रू-शरणार्थी त्रिपुरा के उत्तरी त्रिपुरा जिला के दो उपखंड – पानीसागर और कंचनपुर में स्थित 7– राहत शिविरों में 1997 से रह रहे हैं। मिज़ोरम में 1997 के मध्य में बहुसंख्यक मिज़ो और अल्पसंख्यक ब्रू या रेयांग समुदायों के बीच हिंसा भड़कने और डर के चलते कोई 30 हजार ब्रू लोग राज्य के मामित, कोलासिब और लुंगलई जिलों की 9 विधानसभा क्षेत्रों के कई दर्जनों गांवों से पड़ौसी राज्य त्रिपुरा में पलायन कर गए थे। 2009 से मिज़ोरम सरकार त्रिपुरा के राहत शिविरों में रह रहे ब्रू-विस्थापितों को वापिस मिज़ोरम में लाने के लिए कई प्रयास किए लेकिन इसके बावजूद पिछले 10 सालों में 5 हजार से भी कम ब्रू-शरणार्थी लोग वापस मिज़ोरम लौटे।