उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए किसी भी तरह की कोई मदद नहीं की। बांग्लादेश में रहनेवाले हिंदुओं की सुरक्षा और अधिकारों पर भारत सरकार नजर रखती तो आज की स्थिति पैदा नहीं होती। इसलिए सुरक्षा के चलते बांग्लादेश में हिंदू नहीं रहेंगे। इसके चलते बांग्लादेश में आतंकवाद और कट्टरवाद को बढावा मिलेगा जो कि भारत के उन राज्यों के लिए खतरा होगा जिनकी सीमा बांग्लादेश से सटी है। इस कानून के बाद उनका उत्पीडऩ और बढ़ेगा।
बांग्लादेश के हिंदू नेताओं ने भारत के नागरिकता संशोधन कानून पर चिंता जताते हुए जल्द ही इसमें संशोधन करने की मांग की है। बांग्लादेश के हिंदू, बौद्ध, ईसाई ऐक्य परिषद के महासचिव तथा वकील राना दासगुप्ता ने इस कानून पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इससे सुरक्षा कारणों के चलते बांग्लादेश के अल्पसंख्यक देश छोडऩे को उत्साहित होंगे। इससे बांग्लादेश के गैर सांप्रदायिक लोकतांत्रिक आंदोलन के संग्रामी हतोत्साहित होंगे।
उन्होंने कहा कि 1975 में बंगबंधु शेख मजिबुर रहमान की हत्या के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर उत्पीडऩ बढ़ गया है। इसके चलते वे देश छोडऩे को विवश होते हैं। इस कानून के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर सांप्रदायिक उत्पीडऩ, उनकी जमीन पर कब्जा,धर्मांतरण और बढेगा। इसके चलते वे बांग्लादेश छोडऩे को विवश होंगे। बहुसंख्यक कटï्टरपंथियों का पता है कि भारत में इनको शरण मिल सकती है।
इसके अलावा नागरिकता कानून के लागू होने के बाद भारत में रह रहे मुस्लिम शरणार्थियों को इसमें शामिल नहीं किए जाने के कारण भी हिंदू व अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों के प्रति खतरा बढ़ गया है। इन सब खबरों के बाद ही पूवोज़्त्तर और विशेषकर असम में नागरिकता कानून के खिलाफ संशय है। विभिन्न आंदोलनरत संगठनों को लगता है कि बांग्लादेश के अधिकांश हिंदू असम व पूवोज़्त्तर आने को इससे उत्साहित होंगे।इससे उनके परिचय के सामने संकट पैदा होगा।