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ग्वालियर

शहर से लगे पंचायत क्षेत्रों में बस गईं 20 कॉलोनियां, न टीएंडसीपी से एनओसी,प्रशासन सिर्फ नोटिस देने तक सीमित

-अधिकारी देखकर भी कर रहे अनदेखा

ग्वालियरJan 31, 2023 / 11:50 pm

Dharmendra Trivedi

शहर से लगे पंचायत क्षेत्रों में बस गईं 20 कॉलोनियां, न टीएंडसीपी से एनओसी,प्रशासन सिर्फ नोटिस देने तक सीमित

शहर से लगे पंचायत क्षेत्रों में बस गईं 20 कॉलोनियां, न टीएंडसीपी से एनओसी,प्रशासन सिर्फ नोटिस देने तक सीमित

श्योपुर। श्योपुर नगर पालिका की सीमा से लगीं बगबाज, सोंई कलां, ढेंगदा, बड़ौदा, सलापुरा, नागदा, नगदी सहित आसपास की पंचायतों में लगातार अवैध कॉलोनियों की बसाहट हो रही है। बसाहट कर रहे लोगों पर कॉलोनाइजर का लाइसेंस भी नहीं है। बीते कुछ महीनों में एसडीएम स्तर से 20 से ज्यादा बसाहटों को लेकर नोटिस जारी हुए हैं। अब इनकी फाइलों को एसडीएम कार्यालय में ही दबाने की कोशिश की जा रही है। यहां तक अवैध बसाहट करने वाले जिन लोगों को नोटिस जारी किए गए थे, उनके बारे में भी जानकारी छुपाई जा रही है ताकि पब्लिक भ्रमित बनी रहे।
गौरतलब है कि वर्ष 2019 में शहर की सीमा का विस्तार करने के लिए नगर पालिका ने प्रस्ताव भेजा था। यह प्रस्ताव नगरीय प्रशासन के पास लंबित रहा। अब फिर से प्रस्ताव बनाने की चर्चा की जा रही है। शहर की सीमा विस्तार की खबर फैलने के बाद से अवैध बसाहट करने वाले सक्रिय हो गए और अभी तक असपास की पंचायतों में 40 से ज्यादा अवैध कॉलोनियों बसा दी हैं।

चारों तरफ हो रही अवैध बसाहट
-वन भूमि होने की वजह से शिवपुरी रोड पर कलेक्ट्रेट से पहले तक चार नई कॉलोनियां बस रही हैं। इनमें से एक भी फार्म-4 नहीं है। जिला अस्पताल से निकले बायपास से लेकर पाली रोड पर 15 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां बसाई जा रही हैं। बड़ौदा रोड पर सड़क किनारे की जमीनों पर 3 नई अवैध कॉलोनी बस रही हैं। सोंईकलां में सर्वे 920/2/2/1 के अंतर्गत 0.726 हैक्टेयर भूमि में अवैध कॉलोनी को लेकर एसडीएम ने सिर्फ नोटिस जारी किए। इसके बाद पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। बगबाज गांव में अवैध कॉलोनियों को लेकर कार्रवाई करने गई टीम सरकारी जमीन पर शासकीय का बोर्ड लगाकर वापस लौट आई। श्योपुर के सर्वे नंबर 503/2 की 1.118 हैक्टेयर में से 0.57 हैक्टेयर भूमि को किसान अमीर खान समतल कर रहा था, इसको रोक दिया गया।

इस नियम का पालन ही नहीं
-प्रशासन द्वारा अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई करते समय प्रदेश सरकार द्वारा जारी आदेश को भी पालन कराने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस आदेश के अनुसार प्रत्येक कॉलोनी में भूखंड के हिसाब से 7 प्रतिशत से लेकर 20 प्रतिशत भूभाटक सहित अन्य कॉस्ट के साथ भूखंड को वैध करने की कार्रवाई होगी। कॉलोनाइजर द्वारा धोखे में रखे जाने से यह सब खर्च भूखंड स्वामियों को करना पड़ेगा।

इन नियमों का नहीं हो रहा पालन
-नगर पालिका सीमा में भूखंड लेने से पहले यह जरूर देख लें कि कालोनाइजर का रजिस्ट्रेशन है या नहीं। कॉलोनाइजर जिस जमीन पर बसाहट कर रहा है, उसकी रजिस्ट्री, सम्पत्ति कर की रसीद, नामांकन , डायवर्सन, सीमांकन, नजूल की एनओसी, टीएनसीपी की परमिशन भी जरूरी देखें। कॉलोनाइजर ने 25 रुपए प्रति वर्गमीटर के हिसाब से कालोनी विकास अनुज्ञा जमा की है या नहीं। 100 रुपए प्रति वर्गमीटर आश्रय शुल्क, 50 रुपए प्रति वर्गमीटर बाहरी विकास शुल्क जमा कराया गया है या नहीं। जिस जगह बसाहट की जा रही है, उसकी वैध अनुमतियों के साथ-साथ कुल भूखंडों के 10 प्रतिशत भूखंड बंधक रखे गए हैं या नहीं।

पंचायत में भी लागू है यह नियम
-मप्र पंचायत एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 61 के अनुसार मप्र भू राजस्व संहिता 1959 में किसी कारण के होने पर भी कालोनी का निर्माण करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा अवैध व्यपवर्तन या अवैध कालोनी निर्माण के लिए किसी क्षेत्र में भू खंडों का किया गया अंतरण या अंतरण का कोई करार शून्य हो सकता है। इस प्रकारण अंतरण का करार एवं अंतरण शून्य होने से इस आधार पर क्रेता का कोई विधि पूर्वक स्वत्व अर्जित नहीं होता है। यह स्पष्ट है कि यदि कोई विक्रय विलेख अवैध कालोनी से संबंधित है तब उसके क्रेता को स्वत्व अर्जित नहीं होता है। इस कारण मप्र भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 109 , 110 के अंतर्गत नामांतरण पर भी रोक लग सकती है।

वर्सन
-वर्ष 31 दिसंबर 2016 से पहले की बसी कॉलोनियों के व्यवस्थापन को लेकर नगर पालिका को कार्रवाई करनी है। 1 जनवरी 2017 से बगैर अनुमति की जो कॉलोनियां बस रही हैं, उन पर प्रशासनिक स्तर से कार्रवाई होनी है। जिनके प्रकरण सामने आ रहे हैं, उन पर कार्रवाई हो रही हैं।
शिवम वर्मा, कलेक्टर

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