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Amita singh kbc winner season 2011: सिस्टम को भ्रष्ट बताने वाली तहसीलदार को किया निष्कासित

Amita singh kbc winner season 2011: सिस्टम को भ्रष्ट बताने वाली तहसीलदार को किया निष्काषित

ग्वालियरAug 13, 2019 / 02:48 pm

Gaurav Sen

Amita singh who won 50 lakhs in KBC once again in the headlines

Amita singh kbc winner season 2011: सिस्टम को भ्रष्ट बताने वाली तहसीलदार को किया निष्काषित

श्योपुर. कौन बनेगा करोड़पति सीजन-2011 में 50 लाख जीतने वाली तहसीलदार अमिता सिंह तोमर ने फेसबुक पर पोस्ट कर भ्रष्ट सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अमिता ने फेसबुक पर 1087 शब्दों की पोस्ट लिखी है जिसमें नयाब तहसीलदारों को चाटुकार और भ्रष्ट बताया है। अमिता सिंह को फेसबुक पोस्ट किए जाने के बाद मप्र राजस्व अधिकारी (क. प्रशासनिक सेवा) संघ ने उन्हें संगठन से निष्काषित कर दिया है। संघ के प्रांताध्यक्ष ने अमिता सिंह द्वारा डाली पोस्ट की निंदा की गई है, साथ कहा है, राजस्व अधिकारी संघ इसका समर्थन नहीं करता है।

उल्लेखनीय है तहसीलदार अमिता सिंह तोमर सीधी जिले से स्थान्तरित होकर श्योपुर आई थी। उन्हें तहसीलदार बन बनाते हुए निर्वाचन शाखा में पदस्थ कर दिया जिसको लेकर उनका आक्रोश सामने आ गया। इससे पहले भी अमिता तबादलों को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिख चुकी है जिसको लेकर वह सुर्खियों में आई थी। उल्लेखनीय है कि श्योपुर जिले में पांच तहसीलें हैं, जिसमें विजयपुर में अशोक गोवडिय़ा और वीरपुर में वीरसिंह अवासिया ही फुल तहसीलदार पदस्थ हैं।

जबकि श्योपुर मुख्यालय की तहसील में नायब तहसीलदार भरत नायक, कराहल तहसील में नायब तहसीलदार राघवेंद्र कुशवाह और बड़ौदा में नायब तहसीलदार नवल किशोर दादोरिया को प्रभार दिया हुआ है। इसी बीच पिछले दिनों श्योपुर में पदस्थ हुई अमिता सिंह तोमर को कलेक्टर बसंत कुर्रे ने निर्वाचन शाखा का प्रभार दे दिया। आक्रोशित तहसीलदार अमिता सिंह ने विगत 9 अगस्त को फेसबुक पर एक लंबी चौड़ी पोस्ट डालकर प्रशासनिक हल्कों में हडक़ंप मचा दिया है। उन्होंने अपनी पोस्ट में शासकीय सेवा में चाटुकारिता और भ्रष्टाचार होने की बात कही और लिखा कि चाटुकारिता से ही जूनियर अफसर और नायब तहसीलदार पद पा जाते हैं।

ये लिखा फेसबुक पोस्ट में
तहसीलदार अमिता सिंह ने पोस्ट में लिखा है, सीसीए रूल की बात करें तो सिर्फ ईमानदार और कार्य के प्रति निष्ठा रखने वालों पर ही यह लागू होता है, चाटुकारों पर नहीं। जिले में पदस्थापना में कोई वरीयता नहीं, सिर्फ चाटुकारी में पारंगतता देखी जाती है। मेरी पदस्थापना जिला श्योपुर में हुई है, यहां सारी 5 तहसील हैं, जिसमें 2 पर तहसीलदार पदस्थ हैं, वो भी दूरस्थ तहसील, जहां कोई आरआई भी उस तहसील के सारे कार्य सम्पादित कर सकता है, वहां तहसीलदार पदस्थ हैं। मुख्यालय पर छोटे साहब तहसीलदार बने बैठे हैं। मुझे निर्वाचन शाखा का प्रभारी बना कर कलेक्टर ऑफिस में बैठा दिया है, जहां कि तहसीलदार का कोई पद ही नहीं है, मेरी समस्या ये हैं, महीना पूरा हो जाने पर मुझे वेतन कहां से मिलेगा। इस व्यवस्था पर बहुत तनाव होता है क्या करें, कोई और रास्ता भी नहीं हैं। नौकरी क्यों की गरज पड़ी तो की..,वाली कहावत चरितार्थ होती है इसलिए चुप हूं।

फेसबुक पर उन्होंने क्या लिखा, ये उनकी व्यक्तिगत अभिव्यक्ति है, इसमें मैं क्या कह सकता हूं। रही बात उनकी निर्वाचन में पदस्थी की तो निर्वाचन काम भी महत्वपूर्ण होता है, इसलिए उनको वहां पदस्थ किया है।
बसंत कुर्रे, कलेक्टर, श्योपुर

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