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ग्वालियर

Autism Disorder: शराब पीने वाली महिलाओं के बच्चों में ऑटिज्म डिसऑर्डर का खतरा, ये 4 लक्षण न करें इग्नोर

Autism Disorder: ऑटिज्म पीड़ित में समझने और महसूस करने की शक्ति कमजोर होती है। उसे सिर्फ अपनी पंसद की बात रास आती है बाकी को मरीज इग्नोर करता है।

ग्वालियरMay 28, 2024 / 02:39 pm

Ashtha Awasthi

Autism in adults

Autism in adults

Autism Disorder: आधुनिकता की होड़ में रोजमर्रा की जिदंगी का ढर्रा बिगड़ा है, इसका असर बच्चों की सेहत पर भी दिख रहा है। चिकित्सक कहते हैं ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर गंभीर बीमारी है। आमतौर पर यह वंशानुगत है। लेकिन ताजा हालात में महिलाओं ने एल्कोहल और दूसरे नशे का चलन बढ़ने से बच्चों में बीमारी का खतरा बढ़ा है। जाहिर है माता पिता की बेतुकी लाइफ स्टाइल का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है।
जेएएच के सीनियर डॉ. संजय धवले कहते हैं बीमारी आमतौर पर दो साल की उम्र से बच्चों में पनपती है। दवाओं से इसे काबू तो किया जा सकता है, लेकिन पूरी तरह इलाज संभव नहीं है। व्यवहारिक थैरेपी और काउंसलिंग के सहारे मरीज का इलाज करना पड़ता है। ऑटिज्म पीड़ित में समझने और महसूस करने की शक्ति कमजोर होती है। उसे सिर्फ अपनी पंसद की बात रास आती है बाकी को मरीज इग्नोर करता है।

क्या होता है ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर (What is autism spectrum disorder)

ऑटिज्म एक न्यूरो-डेवलपमेंटल डिसऑर्डर है। इससे पीड़ित बच्चों को सोशल कम्युनिकेशन और बातचीत में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। यही नहीं एएसडी के कारण बच्चों के सीखने, आगे बढ़ने, और किसी चीज पर फोकस करने के तरीके भी अलग-अलग हो सकते हैं।

क्यों होता है ऑटिज्म, कैसे पहचाने? ( autism spectrum disorder symptoms)

जेनेटिक कारक और जन्म के समय होने वाली किसी भी तरह की कठिनाई ऑटिज्म का मुख्य कारण माने जाते हैं। स्‍पीच डेवलपमेंट न होना, असामान्य संवेदनशीलता, हाथ या शरीर की असामान्‍य मूवमेंट, खेलना, आई कॉन्‍टैक्‍ट न बना पाना, नाम सुनकर रिएक्ट न करना, दूसरों के साथ कनेक्ट न कर पाना, खिलौनों से अजीब तरह से खेलना ये कुछ बड़े लक्षण हैं, जो ऑटिज्म की तरफ इशारा करते हैं।

क्यों पनपती बीमारी

ऑटिज्म वंशानुगत बीमारी है। इसके अलावा गर्भावस्था में महिलाओं का तनाव में रहना या एल्कोहल और दूसरे नशे का सेवन करना भी जन्म लेने वाले बच्चों को ऑटिज्म या साइक्रेटिक इलनेस का मरीज बना सकता है।

ऐसे हो सकता है सुधार

● नियमित और सामान्य दिनचर्या के साथ नशा नहीं करना।

● ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर के लक्षण दिखने पर पीड़ित की थैरेपी जरूरी

● गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को तनाव से दूर रहना चाहिए।

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