पवैया ने एट्रोसिटी एक्ट को सबसे बड़ा कारण बताकर पार्टी का निश्चित जनाधार खिसकना भी वजह माना है, क्योंकि प्रदेश के दूसरे क्षेत्रों की अपेक्षा ग्वालियर-चंबल अंचल में एट्रोसिटी एक्ट का प्रभाव सबसे ज्यादा था। उन्होंने कहा कि उन्हें हार का रंज नहीं है, क्योंकि क्षेत्र का विकास कराने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है। चुनाव में हारजीत चलती है, लेकिन आदर्श की राजनीति करते रहेंगे, चुनाव हारे हैं, नैतिक मूल्य कभी नहीं हारेंगे।
उन्होंने सिंधिया पर भी अपरोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के क्षत्रप ने ग्वालियर विधानसभा को लक्ष्य बनाकर अकूत धन बहाया है। कांग्रेस को जीत की बधाई देते हुए कहा कि अब वादों के मुताबिक २५०० रुपए मासिक निराश्रित पेंशन, युवाओं को १० हजार रुपए मासिक भत्ता, जेसी मिल मजदूरों को ७ हजार रुपए पेंशन और क्वार्टर्स के पट्टे जारी कराएं।
यह भी चल रहीं पार्टी में बातें
बुधवार को ग्वालियर विधानसभा में पवैया की अप्रत्याशित हार को लेकर पूरे दिन चर्चा रही है। हजीरा, न्यू कॉलोनी, तानसेन नगर, गांधी नगर, किलागेट, चार शहर का नाका क्षेत्र में आम जन और भाजपा कार्यकर्ताओं की जुबान पर पार्टी के अंदरूनी विरोध की बातें आम थीं। चुनाव से पहले जो कार्यकर्ता बात करने से कतरा रहा था, वह अब पार्टी की हार के कारणों की अपने हिसाब से समीक्षा कर रहा है।
भाजपा के ही कार्यकर्ताओं का कहना है कि ग्वालियर विधानसभा में एक पार्षद, एक पार्षद पति सहित दो राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त नेताओं की भूमिका विरोधाभासी रही है। कुछ कार्यकर्ताओं का तो यहां तक कहना था कि बड़े नेता के कहने पर एक भाजपा पार्षद ने तो कांग्रेस के प्रत्याशी को आर्थिक मदद तक की है। क्षेत्रीय पार्टीनिष्ठ कार्यकर्ता अब इस पूरे मामले को संगठन के शीर्ष फोरम पर पत्रों के माध्यम से भेजने की तैयारी कर रहे हैं।