scriptबच्चे अपनी परंपरा न भूल जाएं, इसलिए माथुर चतुर्वेदी समाज के हर घर में होता है फाग का आयोजन, एक महीने चलते हैं कार्यक्रम | children do not forget their tradition, so mathur chaturvedi is in eve | Patrika News
ग्वालियर

बच्चे अपनी परंपरा न भूल जाएं, इसलिए माथुर चतुर्वेदी समाज के हर घर में होता है फाग का आयोजन, एक महीने चलते हैं कार्यक्रम

माथुर चतुर्वेदी समाज बसंत पंचमी से रंग तेरस तक एक महीने तक मस्ती से त्योहार मनाते हुए फाग और होरी गायन का आयोजन करता है। होली के रंग-बिरंगे माहौल से दूर हटकर यह समाज आज भी अपनी पुरानी परंपराओं को संभाले हुए है

ग्वालियरMar 19, 2019 / 06:45 pm

Rahul rai

mathur chaturvedi

बच्चे अपनी परंपरा न भूल जाएं, इसलिए माथुर चतुर्वेदी समाज के हर घर में होता है फाग का आयोजन, एक महीने चलते हैं कार्यक्रम

ग्वालियर। रंगों का त्योहार होली अब पांच दिन की जगह मात्र एक दिन कुछ ही घंटों का होकर रह गया है। होली वाले दिन लोग सुबह घर से निकलकर एक दूसरे को बधाई देकर गुलाल लगाकर पर्व को मना लेते हैं। वहीं माथुर चतुर्वेदी समाज बसंत पंचमी से रंग तेरस तक एक महीने तक मस्ती से त्योहार मनाते हुए फाग और होरी गायन का आयोजन करता है। होली के रंग-बिरंगे माहौल से दूर हटकर यह समाज आज भी अपनी पुरानी परंपराओं को संभाले हुए है।
एक महीने तक चलने वाले इस आयोजन कि लिए समाज के लोग कार्यक्रम को अपने घरों में करने के लिए इस कदर आगे रहते हैं कि कभी-कभी कुछ लोगों को वेटिंग में रहकर कार्यक्रम नहीं मिल पाता है।
सोमवार को फाग गायन का आयोजन सिटी सेंटर स्थित बैंक कॉलोनी में अजय तिवारी के घर किया गया। कार्यक्रम में समाज के हर वर्ग ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम पांच घंटे तक चला। इसमें समाज के लोगों ने रघुवर जानकी खेलें नगर अयोध्या में फाग.., सुमंगल दाहिने होरी खेलत राम नरेश, कौन के हाथ कनक पिचकारी को रंग भरि-भरि देत…, केसरिया पहरि है जाओ न्यारी, गुलाल की सारी उतारो प्यारी… आदि का गायन किया गया।
फाग गायन में समाज के सभी लोग शामिल होकर मस्ती में होली गाते हैं और उसके बाद ठंडाई का आनंद भी लेते हैं। चौबे की ठंडाई के लिए हर कार्यक्रम में इसका एक अलग ही स्वाद होता है।
समाज के सभी लोगों का रहता है योगदान
एक महीने तक चलने वाले कार्यक्रम में हर सात-आठ दिन बाद फाग का आयोजन किसी न किसी के घर पर होता है, जिसमें समाज का हर वर्ग शामिल होकर अपनी परंपरा को निभाता है, इसमें युवा, महिला, पुरुष के साथ कुछ बुजुर्ग भी पहुंचते हैं। यह सभी बुजुर्ग रिटायर होकर अपने बच्चों को भी आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
लखनऊ, मुरैना से आए लोग
कार्यक्रम का रंग समाज के लोगों पर ऐसा चढ़ा है कि लोग दूर-दूर से कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आते हैं। सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में लखनऊ से सौरभ चतुर्वेदी एक दिन पहले ही ग्वालियर पहुंचे और मुरैना से क्षमा चतुर्वेदी परिवार के साथ पहुंचीं।
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