उल्लेखनीय है कि ग्वालियर बायपास हाईवे आरओबी की एक हिस्से की दरार अगस्त महीने में आई थी। सितंबर के पहले सप्ताह में आरओबी के दूसरे हिस्से (टोल प्लाजा से बानमोर) में दरार को सुधार लिया गया था। इसके बाद ट्रैफिक को धीमी रफ्तार से निकाला जा रहा था। बीते रोज में आरओबी की जांच एनएचएआइ और निर्माण एजेंसी के एक्सपर्ट द्वारा की गई। इसके बाद बानमोर से जाने वाले ट्रैफिक को पुल पर से निकलने पर रोक लगा दी।
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2016 में टूटा था आरओबी का एक पार्ट, दो महीने में बनाने की कवायद
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2014 में ग्वालियर बायपास हाईवे का निर्माण ऐरा कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा कराया गया था। रायरू से मालवा कॉलेज तक करीब 45 किलोमीटर लंबे बायपास पर तीन सौ करोड़ खर्च किया गया था। इस हिस्से में आने वाले रेलवे ट्रैक पर ये पुल तैयार कराया गया था। पुल को रेलवे अधिकारियों के सुपरविजन में तैयार कराया गया था। अक्टूबर 2016 में बायपास के आरओबी हिस्सा टूट गया था तब से रायरू से पुल पर आने वाले वाहनों को पुल दूसरे हिस्से (मालवा कॉलेज की ओर से आने वाले) से ही गुजरना होता था। अब पुल के उस दूसरे हिस्से में भी दरारें आ चुकी थीं। आरओबी के दूसरे हिस्से में सुधार कर लिया गया था। इसके बाद एक्सपर्ट की राय पर हैवी वाहनों को फिर से रोक दिया गया है। अब ये वाहन पुरानी छावनी, मलगढ़ा होकर गोला का मंदिर दीन दयाल नगर से बरैठा गांव के पास वायपास हाइवे पर पहुच रहे हैं। ऐसी स्थिति में शहर के बीचोंबीच हैवी वाहनों का दबाव के कारण जगह-जगह जाम की स्थिति बन रही है।
पुल की तकनीकी जांच के लिए एक्सपर्ट की टीम बुलाई है। अगस्त महीने में आरओबी का दूसरे हिस्से में दरारें भरने के बाद एक्सपर्ट ने हैवी ट्रैफिक रोकने की बात रिपोर्ट दी। इसके आधार पर बानमोर से आने वाले ट्रैफिक को रोक दिया गया है। दो साल पहले आरओबी के बाएं हिस्सा टूट गया था। आरओबी का ये पार्ट को तीन महीने में ठीक कराया जाएगा ।
मनोज कुमार शर्मा, परियोजना निदेशक, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण