सिंध से अवैध रेत भरकर हर दिन 1500 से अधिक वाहन आते हैं। रात 10 बजे से सुबह 4 बजे तक नेशनल हाइवे-75 का 50 किलोमीटर का हिस्सा बेधड़क दौड़ते डंपर, हाइवा और एलपी के चालकों के कब्जे में रहता है। मुरैना दुर्घटना में मरने वाले मुरार के बड़ेरा फुटकर गांव के थे, इसके बाद भी ग्वालियर से डबरा के बीच बेतरतीव दौडऩे वाले रेत से ओवरलोड वाहनों पर अंकुश लगाने के लिए प्रयत्न नहीं किए गए हैं।
डेढ़ घंटे के दौरान नहीं दिखी पुलिस की कोई सख्ती
पत्रिका ने खनिज, प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली देखने के लिए देर रात हाइवे पर लगभग डेढ़ घंटे समय बिताया और रियलिटी चेक की। पांच पॉइंट पर रुककर इंतजार किया। इस दौरान पुलिस तो नजर आई, लेकिन एक भी जवान सुरक्षा को लेकर कोई कदम उठाने की कोशिश करता नहीं दिखा। स्थिति यह थी कि पत्रिका रिपोर्टर के वाहन के आगे-आगे चल रही यात्री बस के सामने डबरा की ओर से आ रहे डंपरों ने तीन बार खतरनाक तरीके से आेवरटेक किया। अगर बस चालक सावधान न होता तो दुर्घटना हो सकती थी।
सिंध नदी से हर दिन निकल रहे 1500 से अधिक अवैध रेत के वाहन |
रात 10 बजे से सुबह 4 बजे तक बेधड़क दौड़ते हैं डंपर, हाइवा |
यह रियलिटी आई नजर
समय : रात 10.45
स्थान- ग्वालियर-झांसी हाइवे पर हुरावली एंट्रेंस पॉइंट
दृश्य: न्यू कलेक्ट्रेट से निकलकर हुरावली रोड पर रास्ते में रेत से भरे 7 ट्रैक्टर-ट्रॉली खड़े थे। हाइवे के बिलकुल किनारे पहुंचने पर बबूल के पेड़ों से घिरा एक बाड़ा है, इसमें रेत का डंप लगा था। यहां बाहर ढाबे पर डंपर सड़क के इस ओर और 4 डंपर सड़क के दूसरी ओर खड़े थे। इनमें 6 में रेत थी।
सुरक्षा: न्यू कलेक्ट्रेट से लेकर सिरोल तिराहे तक के रास्ते में सिर्फ हुरावली तिराहे पर पुलिस के तीन जवान नजर आए। होटल पर दो पुलिस जवान आए, थोड़ी देर खड़े रहे, कुछ पैक कराया और चले गए। रेत के अवैध ढेर और डंपरों में भरी रेत के बारे में पूछने के लिए कोई पुलिस वाला नहीं आया।
समय : रात 11.10
स्थान-अडूपुरा पॉवर स्टेशन के सामने और जौरासी घाटी
दृश्य: अडूपुरा पॉवर स्टेशन के सामने स्थित दो ढाबों पर ६ डंपर खड़े थे, इनमें से दो में रेत में भरी थी। एक डंपर चालक से पूछा तो उसने बताया कि वह सिंध पार लगे डंप से रेत भरकर लाया है। उससे पूछा कि कितनी रेत होगी, तो बताया कि 500 फीट माल है। कीमत पूछी तो उसने बताया कि ग्वालियर में बिकने पर यह 20 हजार रुपए की है।
सुरक्षा: जौरासी घाटी में चार पुलिस जवान मौजूद थे। दो पूरी वर्दी में थे, दो वर्दी का पेंट और बनियान पहने थे। वाहन निकल रहे थे, लेकिन वह बातों में मस्त थे।
समय : 11.20 से 11.30
स्थान -जौरासी हनुमान मंदिर और बिलौआ तिराहा
दृश्य: मंदिर के सामने 7 डंपर-हाइवा खड़े थे। बाहर हाइवे पर ४ डंपर खड़े थे, इनमें से एक बड़े डंपर में लेजम से रेत में पानी डाला जा रहा था। मंदिर से लेकर बिलौआ तिराहे तक गिट्टी से भरे 20 वाहन मिले, इनमें एलपी वाहनों में ऊपर तक तिरपाल बंधी थी। सभी वाहनों में ऊपर तक गिट्टी भरी थी।
समय : 11.40
स्थान – कल्याणी से छीमक रोड
दृश्य: सात किलोमीटर के रास्ते में 3 ट्रैक्टर-ट्रॉली और 5 डंपर मिले। सभी में ऊपर तक रेत भरी थी। इनमें आगे एक लग्जरी एसयूवी गाड़ी थी, जिसमें चार युवक सवार थे, जब यह एसयूवी चली तो उसके पीछे रेत से भरे अन्य सभी वाहन ग्वालियर की ओर चल पड़े।
शहर में यहां हैं रेत के अवैध डंप
1. तिघरा रोड पर गुप्तेश्वर मंदिर के पास संभवत: वन विभाग की जमीन पर किसी ने बाउंड्री करा दी है, जिसमें हर रात 20 से 25 डंपर खाली किए जाते हैं। इसके बाद ट्रैक्टर-ट्रॉली से शहर में रेत सप्लाई की जाती है।
2. विक्की फैक्ट्री रेलवे पुल के पास गैस गोदाम के पीछे रेत के दो डंप हैं। इसके अलावा मुख्य सड़क के किनारे 25 से 30 रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली खड़े रहते हैं।
3. पुरानी छावनी चौराहे से लेकर रायरू बायपास से गोले का मंदिर तक 5 जगह रेत के डंप लग रहे हैं। इनसे रेत भरकर शहर में सप्लाई होती है। इसके अलावा दूसरे प्रदेशों में बड़े वाहनों में रेत भरकर भिजवाई जाती है।