शिक्षा के क्षेत्र में आगे निकलकर आए दिव्यांग बच्चे भी
डॉ. तुली ने कहा कि दिव्यांग बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ अधिगम कराना मुश्किल हो सकता है, लेकिन नामुमकिन नहीं।
शिक्षा के क्षेत्र में आगे निकलकर आए दिव्यांग बच्चे भी
ग्वालियर. जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में समावेशित शिक्षा पर उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में एलएनआइपीई के कुलपति प्रो. दिलीप डुरेहा एवं विशिष्ट अतिथि आयुक्त नि:शक्तजन संदीप रजक एवं पद्मश्री डॉ. उमा तुली उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डाइट की प्रिंसिपल डॉ. साधना द्विवेदी ने की। कार्यक्रम को आगे संबोधित करते हुए डॉ. तुली ने कहा कि दिव्यांग बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ अधिगम कराना मुश्किल हो सकता है, लेकिन नामुमकिन नहीं।
डॉ. तुली ने बताया कि हर मानव के अधिकार बराबर हैं, चाहे वो सामान्य हो या दिव्यांग और हमें उन्हें बराबरी की भावना से देखना चाहिए। बराबरी में लाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहना चाहिए। उन्होंने एक आंकड़े के अनुसार बताया कि भारत मे 26.8 मिलियन नि:शक्तजन हैं, जिनमें से 2.3 मिलियन 6 से 13 वर्ष के बच्चे हैं, जिनमे से 28 परसेंट बच्चे शिक्षा से दूर हैं। इसके लिए भारत सरकार ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल का गठन किया, जिससे दूरस्थ शिक्षा की व्यवस्था हुई और दिव्यांग बच्चे भी शिक्षा के क्षेत्र में आगे निकलकर आए।
बच्चों के लिए लगे स्पेशल क्लास : मानसिक विक्षुब्ध बच्चों के लिए भी विशेष कक्षाओं की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे ये बच्चे भी सामान्य बच्चों के साथ आ सकें। उन्होंने कहा कि स्कूल में दिव्यांग बच्चों के लिए सपोर्ट सर्विस आवश्यक है तथा दिव्यांग के लिए स्कूलों में रिसोर्स रूम बनाने तथा सांकेतिक भाषा को स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में मान्यता देने के लिए सरकार से विचार विमर्श करने को कहा। इस अवसर पर रजनी झा, अशोक शर्मा, शर्मिला शर्मा, आशा तिवारी, वंदना शर्मा, प्रीति सोनी आदि उपस्थित रहे।
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