साढ़े तीन दिन तक चलने वाले लीला मेला के दौरान जहां धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृ़तिक आयोजन होते हैं। वहीं यहां की घोड़ी रेस पूरे देशभर में विख्यात है, इसमें भाग लेने के लिए दूर-दराज के घुड़सवार यहां अपनी-अपनी घोडिय़ों को सजाकर हिस्सा लेने आते हैं। भगवान द्वारिकाधीश का धाम होने की वजह से मुरैना गांव में मोर बहुतायात संख्या में पाई जाती है,जो यहां की पहचान भी है।
रिश्ते भी होते है पक्के
बताया जाता है कि इस प्राचीन लीला मेला की एक विशेषता यह भी है कि यहां कई समाज के लोग आपस में मिलते-जुलते हैं और दाऊजी मंदिर परिसर में अपने विवाह योग्य बेटे-बेटियों के सगाई-संबंध पक्के करते हैं। लोग सालभर इस मेले का इंतजार करते हैं, ताकि वे भगवान के सामने अपने बच्चों के संबंध पक्का कर सकें। इसके साथ ही इस मेले में हजारों की संख्या में भक्त भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं।