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ग्वालियर

जेयू में भंग की जाए ईसी, तानाशाही चलाने वालों पर हो कार्रवाई

एबीवीपी ने दिया कुलपति को ज्ञापन

ग्वालियरJul 01, 2020 / 05:58 pm

prashant sharma

जेयू में भंग की जाए ईसी, तानाशाही चलाने वालों पर हो कार्रवाई

जेयू में भंग की जाए ईसी, तानाशाही चलाने वालों पर हो कार्रवाई

ग्वालियर. जीवाजी विश्वविद्यालय में समस्याओं का निराकरण न होने से छात्र परेशान हैं। निराकरण के लिए अशासकीय सदस्य के रूप में कार्यपरिषद सदस्य नियुक्त हैं, लेकिन सभी सदस्य समस्याओं पर चर्चा करने की बजाय ज्यादातर समय दूसरे बिंदुओं में रुचि दिखाते हैं।
ईसी मैंबर अपना ज्यादा ध्यान विवि में होने वाले ठेके और पैसे के भुगतान पर देते हैं। ऐसे सदस्यों को हटाकर ईसी भंग की जाए। जेयू में होने वाले प्रवेश, और परिणामों के लिए पारदर्शी व्यवस्था की जाए ताकि छात्र परेशान न हों। कामकाज में अपनाए जा रहे तानाशाह रवैये को भी बदला जाए, जो भी लोग दोषी हैं, उन सभी पर कार्रवाई की जाए। यह बात अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र नेताओं ने राज्यपाल के नाम पर कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला को ज्ञापन देते हुए कही। इस दौरान केतन पंडित, अनमोल व्यास, नीतराज शर्मा, शिवाजीत सिंह, सूरज दीक्षित, ऋषभ शर्मा, विनोद कुशवाह आदि छात्र नेता मौजूद थे। समस्याओं को लेकर छात्र संगठन के कार्यकर्ता सीधे प्रशासनिक भवन पहुंचे थे। पहले तो छात्रों को प्रशासनिक भवन के मुख्य द्वार से सुरक्षा गार्डों ने प्रवेश नहीं करने दिया, लेकिन बाद में जब छात्र नहीं माने तो कुलपति सचिवालय जाने की अनुमति मिल गई। इसके बाद जब सचिवालय पहुंचे तो यहां भी चैनल बंद कर दिया गया था। छात्रों ने नारेबाजी शुरू की तो जनसंपर्क अधिकारी डॉ. केशव सिंह गुर्जर पहुंचे और समझाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी।
बाद में कुलपति आईं और चैनल को भी खोल दिया गया। कुलपति ने सभी छात्रों से सोशल डिस्टेंस के साथ बात करने की समझाइश दी और फिर सभी छात्र चैनल के इस ओर खड़े रहे और जेयू के अधिकारी दूसरी ओर खड़े होकर समझाने की कोशिश करते रहे। एबीवीपी के छात्रों ने कुलपति को बताया कि तानाशाह पूर्ण रवैये में बदलाव और सभी काम छात्र हित में किए जाने को लेकर चरण बद्ध आंदोलन शुरू किया गया है।
यह की हैं मांगें
ईसी की बैठक में छात्रों की समस्याओं का समाधान करने की बजाय ठेका और पैसे को लेकर ही चर्चा होती है, इसलिए कार्यपरिषद को भंग किया जाए।
जेयू में प्रवेश, परीक्षा और परिणाम हमेशा से सवालों के घेरे में रहे हैं। इसके दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
कुलसचिव का ध्यान परीक्षा, प्रवेश सहित अन्य गंभीर मुद्दों पर नहीं हैं, इन पर भी कार्रवाई की जाए।
जीवाजी विश्वविद्यालय में जो भी काम होते हैं, उसके लिए कुलपति भी जिम्मेदार हैं।

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