कर्नल शर्मा ने कहा कि गहरी गहरी हजारों फीट गहरी खाइयों से घिरी ऊंची ऊंची पहाडि़यां जिनमें दुश्मन बंकर बनाकर सुरक्षित बैठा था जहां सांस लेना कठिन था ऑक्सीजन की अत्यंत कमी होने के बाद भी उबड़ खाबड़ क्षेत्र जहां चोटियों पर पहुंचने के लिए रास्ता ना हो ऐसे में चोटियों पर बैठे दुश्मन से मुकाबला करना बड़ा ही दुष्कर कार्य था लेकिन हमारे बहादुर सैनिकों ने अपने हौसलों से ऐसे दुर्गम क्षेत्र में छुपे बैठे दुश्मन तक पहुंच कर उनकी गर्दनों को मरोड़ा उनको मारा एवं भारतीय के भूभाग को दुश्मन से मुक्त कराया । कारगिर के इस ऑपरेशन में हवलदार सरमन सिंह टाइगर हिल्स पर दुश्मनों के ठिकाने पर बब्बर शेर की भांति टूट पड़े और वहां छिपे बैठे दुश्मनों को बिना अवसर दिए मार गिराया। दूर छिपे दुश्मन ने सरमन सिंह की तरफ हैंड ग्रेनेड फेंका जिससे सरमन सिंह बलिदानी पथ पर हंसते हंसते चले गए। कारगिल युद्ध विजय में हमारे सेना के 527 जवानों ने बलिदानी पथ को चुना इन सभी के चरणों में कोटि कोटि नमन करता हूं।
पूर्व अध्यक्षसाडा राकेश जादौन ने कहा कि हर वर्ष शहीद सरमन सिंह के बलिदान दिवस पर राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत अनेक कार्यक्रम यहां आयोजित होते रहे हैं क्योंकि आचार संहिता का पालन भी करना है और शहीदों को श्रद्धांजलि भी देना है इसलिए होने वाले कार्यक्रमों को स्थगित करना पड़ा । शहीद को पुष्पांजलि देने वालों में सूबेदार मेजर अलीशेर खान, संस्था सचिव विहवल सेंगर ,लेफ्टिनेंट सत्य प्रकाश तोमर, लेफ्टिनेंट विजय कुमार, रिटायर्ड कर्नल श्रीमन नारायण शर्मा ,रिटायर्ड सूबेदार पहलाद सिंह भदौरिया, कैप्टन राम सिंह तोमर ,कैप्टन भारत सिंह तोमर, कैप्टन भगवंत सिंह आदि शामिल हैं। कार्यक्रम का संचालन संस्था सचिव विहवल सेंगर ने किया