हाथ कब धोने चाहिए ? यूं तो खाना खाने से पहले और शौच के बाद हाथ जरूर धोना चाहिए, लेकिन इतना काफी नहीं है। टीवी या एसी के रिमोट, दरवाजे का कुंडा, कंप्यूटर-लैपटॉप या मोबाइल पर भी वायरस होते हैं। कोशिश करें कि इनके इस्तेमाल के बाद भी हाथ धोएं। खांसने, छींकने या नाक साफ करने के बाद हाथ धोना जरूरी है। खाना पकाने, परोसने या खाने से पहले हाथ जरूर धोएं। छोटे बच्चों को हाथ से खाना खिलाते समय हाथ धोना बहुत जरूरी है।
हाथ धोने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? लंदन स्कूल ऑफ हायजिन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के अनुसार, केवल पानी से हाथ धोने से कीटाणु दूर नहीं होंगे। साबुन या लिक्विड सोप से ही हाथ साफ करना चाहिए। डॉ. मेधावी अग्रवाल के अनुसार, हाथ गर्म या ठंडे पानी से धोए जा सकते हैं। पहले हाथों को गीला करें, फिर हथेली के आगे और पीछे अच्छी तरह साबुन या लिक्विड सोप लगाएं। हाथों को करीब 20 सेकंड तक रगड़ें। उंगलियों और नाखूनों को खासतौर पर रगड़ें। इसके बाद पर्याप्त पानी से हाथ धो लें। फिर साफ कपड़े से साफ करें।
साबुन, लिक्विंड सोप या सेनेटाइजर, कौन ज्यादा प्रभावी यदि साबुन को एक से ज्यादा लोग इस्तेमाल कर रहे हैं तो सावधान रहने की जरूरत है। उस पर लगे दूसरे के कीटाणु और फैल सकते हैं। सलाह दी जाती है कि ऐसे साबुन को पहले अच्छी तरह धो लें, ताकि कीटाणु वाली परत साफ हो जाए। इसके बाद इस्तेमाल करें। लिक्विंड सोप इस लिहाज से सुरक्षित हैं। वहीं सेनेटाइजर के बारे में सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) से जुड़े डॉ. निकोल जोकोविच कहते हैं कि यदि पानी नहीं है तो सेनेटाइजर का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन ये सेनेटाइजर ऐसे होना चाहिए जिनमें कम से कम 60 फीसदी अल्कोहल का इस्तेमाल किया गया है। यदि हाथों पर गंदगी साफ दिखाई दे रही है तो पानी और साबुन से ही धोना चाहिए। त्वचा संबंधी किसी एलर्जी या समस्या के संबंध में डॉक्टर की सलाह से ही सेनेटाइजर या साबुन चुनें।
चौंकिए नहीं, ज्यादा हाथ धोना भी नुकसानदायक हाथ धोना जरूरी है, लेकिन दिन में कई-कई बार हाथ धोना नुकसानदायक भी होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, हाथ पर दो तरह के कीटाणु होते हैं। एक बीमारी देने वाले और दूसरे बीमारी रोकने वाले। हाथ साफ करने से बीमारी फैलाने वाले कीटाणु मरते हैं, लेकिन बार-बार हाथ धोने से अच्छे कीटाणु भी खत्म हो जाते हैं, जो हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। नोवा साउथइस्टर्न यूनिवर्सिटी की डॉ. फ्रांसिन रोसनबर्ग के अनुसार, बार-बार हाथ धोने की आदत एक डिसऑर्डर है, जो ओब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर का हिस्सा हो सकता है। बच्चों में सेनेटाइजर के ज्यादा इस्तेमाल से उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है।
सेहतमंद रहना है तो शुरुआत हाथों की सफाई से होती है। इसलिए खुद भी हाथ धोएं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। बच्चों में तो यह आदत जरूर डालें।