डोंगरपुर के सर्वे क्रमांक 452/1 व 452/2 की 18 बीघा जमीन को वेदरतन (इंद्रा क्रिएटर्स) अन्य ने खरीद लिया था। जब जमीन का मामला प्रशासन के संज्ञान में आया तो उसकी जांच की गई। जांच में जमीन शासकीय निकली, जिस पर जमीन को शासकीय दर्ज कर दिया गया है। शासन के इस फैसले के खिलाफ वेदरतन अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने जमीन को शासकीय घोषित किए जाने के आदेश को निरस्त कर दिया। जमीन वेदरतन अन्य के मालिकाना हक की मानी। इसके बाद वेदरतन अन्य ने खसरों में अपना नाम दर्ज कराने के लिए तहसील में आवेदन किया। लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी जमीन का नामांतरण नहीं किया। जिसके चलते वेदरतन अन्य ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की। प्रशासन ने युगल पीठ में रिट अपील दायर की।
ये रिट अपील देर से पेश करने के आधार पर खारिज हो गई। कोर्ट ने अवमानना याचिका में कलेक्टर को बुलाया। कोर्ट ने आदेश दिया कि 25 जनवरी तक आदेश का पालन करें। नहीं तो अधिकारी न्यायालय में मौजूद रहें। सुप्रीम कोर्ट की एसएलपी का हवाला देते हुए जमीन को वेदरतन के नाम कर दिया गया। अब सुप्रीम कोर्ट से भी एसएलपी खारिज हो चुकी है।