शोधार्थियों के अनुसार उनको यह आइडिया तब आया जब उन्होंने खून की कमी से अपनी अंडर ग्रेजुएट (यूजी) कक्षाओं में ट्रेनिंग के दौरान केआरएच में कई महिलाओं को दम तोड़ते देखा। उनके अंदर जिज्ञासा उठी कि खून का कोई दूसरा स्त्रोत खोजा जाना चाहिए। इसी दौरान उन्हें पता चला कि कई विकसित देश और भारत के एम्स जैसे टॉप हॉस्पिटलों में गर्भनाल के खून पर रिसर्च चल रहे हैं। जब शोधार्थियों ने इस मामले की डिटेल पता की तो उन्हें पता चला कि गर्भनाल के अंदर मौजूद खून में पोषक तत्व ब्लड बैंक में मौजूद या किसी बड़े व्यक्ति द्वारा दिए गए रक्त से करीब पांच गुना ज्यादा होते हैं। जरूरत पडऩे पर अगर गर्भनाल का ब्लड परीक्षण कर मरीज को चढ़ाया जाता है तो वह शरीर के अंदर पहुंचने के साथ ही शरीर के अंदर बीमारी पर अन्य रक्त की तुलना में जल्दी ठीक करता है। इसके बाद गर्भनाल पर दो वर्ष काम किया, जिसके परिणाम उम्मीद से कहीं बेहतर आए।
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सैंकड़ों यूनिट ब्लड जाता है नालियों में
केआरएच के साथ जिला अस्पताल मुरार में हर साल 5 से 8 हजार के बीच बच्चे जन्म लेते हैं। इनके गर्भनाल को व्यर्थ समझकर फेंक दिया जाता है। अगर इस ब्लड को एकत्रित कर काम में लिया जाता है तो कई गंभीर रोग से पीडि़त मरीजों को लाभ मिल सकता है। हालांकि देश की कुछ निजी कंपनियां इन गर्भनाल को सुरक्षित रखने के लिए 40 हजार से डेढ़ लाख तक वसूलती हैं, हालांकि अभी यह सुविधा शहर में उपलब्ध नहीं है।
शोधार्थियों ने ऐसे पूरा किया रिसर्च
शोधार्थियों के अनुसार एक गर्भनाल में 80 से 100 एमएल ब्लड होता है। उन्होंने पहले प्रयोग में 77 मरीजों पर 120 यूनिट रक्त चढ़ाया। इनकी उम्र 14 से 17 वर्ष के बीच थी। इसके बाद दूसरे प्रयोग में 99 मरीजों पर 250 ब्लड यूनिट रक्त चढ़ाया। इनकी उम्र 16 से 40 के बीच थी। इन मरीजों में कई मरीज अंधत्व तो कुछ सफेद दाग, थैलेसीमिया, डायबिटीज, पीलिया, बर्न मरीजों के साथ कैंसर रोगी शामिल हैं। सभी पर रक्त के अच्छे परिणाम देखने को मिले।
शाधार्थियों के साथ पांच साल से कर रहा हूं रिसर्च
मैंने, शोधार्थियों के साथ करीब पांच साल से गर्भनाल के ब्लड पर रिसर्च कर रहा हूं। पिछले दो वर्षों में हमने दो भागों में 174 विभिन्न रोगों के पीडि़त मरीजों पर प्रयोग किया। रिजल्ट चौंकाने वाले आए। अगर हम अपने अस्पतालों में पैदा होने वाले बच्चों के गर्भनाल का ब्लड उपयोग में लाते हैं तो इससे कई मरीजों को नया जीवन मिल सकेगा।
डॉ.डीसी शर्मा, ब्लडबैंक प्रभारी, जेएएच