ग्वालियर संभाग में पिछले कुछ दिनों से ठीक नहीं चल रहा है। प्रशासन और डाक्टरों में दूरियां बढ़ती नजर आ रही है। बुधवार को गजराराजा मेडिकल कालेज, जयारोग्य चिकित्सालय और जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने फैसला लिया था। शहर के डॉक्टरों ने प्रशासन पर अस्पताल में दखलअंदाजी समेत कई कंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद प्रशासन की तरफ से भी 24 घंटे में ही कमिश्नर कोर्ट के आदेश पर सहारा समेत शहर के 11 नामी अस्पतालों को नोटिस थमा दिए गए। एसडीएम की ओर से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 133 के तहत दिए गए नोटिस में तालाबंदी की चेतावनी दी गई है।
प्रशासन की यह कार्रवाई
-जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गुरुवार को छह निजी अस्पतालों और दो पैथोलाजी पर छापा मारा।
-5 अस्पतालों को नोटिस एक का पंजीयन निलंबित।
-सिविल जिला अस्पताल में एसडीएम ने निरीक्षण कर सिविल सर्जन डा. वीके गुप्ता को फटकारा।
-किसी भी प्रकार के निरीक्षण के लिए डाक्टर प्रशासन के साथ में नहीं जाएंगे और न ही ‘सर’ कहकर संबोधित करें।
-सार्वजनिक समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में किसी भी चिकित्सकीय संस्था की ओर से नहीं बुलाया जाएगा।
-कोई अधिकारी अस्पताल में निरीक्षण के लिए आता है तो सभी चिकित्सक अपना काम छोड़कर बाहर आ जाएंगे।
-प्रशासनिक अधिकारियों, उनके परिवार के सदस्यों के इलाज के लिए उनके निवास या दफ्तर नहीं जाएंगे।
-चिकित्सकों ने मांग की है कि स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में कमिश्नर प्रणाली समाप्त की जाए।
-ऑटोनॉमस संस्थाओं के अध्यक्ष, डायरेक्टर्स और कमिश्नर के पदों पर सीनियर डॉक्टर को नियुक्त किया जाए।
कमिश्नर बोले- हमें ‘सर’ कहलवाने का कोई शौक नहीं
डाक्टरों के आरोप लगाने के बाद कमिश्नर एमबी ओझा ने कहा कि हमें सर कहलवाने का कोई सौक नहीं है। न ही किसी को इलाज के लिए घर बुलाने को कहा जाता है। ओझा ने कहा कि यदि डाक्टर मनमानी करना चाहते हैं तो बिल्कुल नहीं करने ती जाएगी। हमारे लिए अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों का हित सर्वोपरि है।