पिछले साल 2019 को जब तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी मोतीमहल स्थित मान सभागार में बैठक ले रहे थे। इस बैठक में ग्वालियर चंबल संभाग के कमिश्नर, कलेक्टर और जिला शिक्षक अधिकारी समेत सभी शामिल थे।
मंत्री जब सरकारी अफसरों के साथ स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता और व्यवस्थाओं को लेकर मंथन कर ही रहे थे कि इसी दौरान अशासकीय विद्या मंदिर हाईस्कूल में पदस्थ शिक्षक जगदीश सिंह यादव और उनकी पत्नी विमला देवी अपनी फरियाद लेकर पहुंचे। मंत्री की ओर से ली जा रही बैठक में मौजूद लोग जब तक कुछ समझ पाते दोनों पति-पत्नी भावुक हो गए और फूट-फूटकर रोने लगे।
शिक्षा मंत्री के पैर पकड़कर न्याय की गुहार लगाने लगे। इसी दौरान उन्होंने कहा कि उन्हें 20 माह से वेतन नहीं मिला है। जिस पर शिक्षा मंत्री ने न्याय का आश्वासन दिया था। इस मामले का अंतिम निराकरण करते हुए लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से आयोग को प्रतिवेदन भी दे दिया गया है।
पत्रिका ने प्रमुखता ससे प्रकाशित की थी खबर
यह खबर 5 अक्टूबर 2019 को ‘शिक्षा मंत्री के पैर पकड़ कर रो पड़े शिक्षक दंपती’ शीर्षक से प्रकाशित हुई थी। इस पर संज्ञान लेने पर प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग ( School Education Department ) और आयुक्त स्कूल शिक्षा भोपाल से प्रतिवेदन मांगा था। आयोग की ओर से मामले की निरंतर सुनवाई की गई, जिससे शिक्षक को उसका सारा भुगतान कर दिया गया। लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से आयोग को दिए प्रतिवेदन में कहा गया है कि इस प्रकरण की गहन जांच में पाया गया है कि शिक्षक जगदीश यादव के भुगतान में सेवा पुस्तिका एवं अन्य अभिलेखों में त्रुटियां पाए जाने के कारण उनका भुगतान लंबित रहा था। वर्तमान में शिक्षक यादव के सभी लंबित स्वत्वों की कुल धनराशि 18 लाख 876 रुपए का नियमानुसार भुगतान कर दिया गया।