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ग्वालियर

अस्पतालों से पट्टी और प्लास्टर गायब, मरीजों खरीदना पड़ रहा है को बाजार से

मरीजों को अस्पताल में ड्रेसिंग कराने के लिए पट्टी और प्लास्टर के लिए उपयोग होने वाला सामान बाजार से ही खरीदकर लाना पड़ता है

ग्वालियरJan 03, 2019 / 01:30 am

राजेश श्रीवास्तव

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अस्पतालों से पट्टी और प्लास्टर गायब, मरीजों खरीदना पड़ रहा है को बाजार से

ग्वालियर. मुरार स्थित जिला अस्पताल में पट्टी का खेल चल रहा है। सिविल सर्जन कार्यालय से डिमांड अनुसार पट्टी अस्पताल पहुंचाई जाती है लेकिन यहां आते ही ये गायब हो जाती है। डे्रसिंग करने वाले कंपाउंडर की मानें तो पट्टी आ ही नहीं रही है और ये कोई एक या दो दिन से नहीं बल्कि 4 महीने से यही स्थिति है। इस बात का खुलासा हुआ पत्रिका एक्सपोज द्वारा किए गए स्टिंग में। अस्पताल प्रशासन इस पूरे मामले को दबाने का प्रयास कर रहा है। अस्पताल में रोजाना आने वाले मरीजों को ड्रेसिंग के लिए बाजार से पट्टी और प्लास्टर का सामान खरीदना पड़ रहा है।
जि ला अस्पताल में रोजाना 50 से अधिक मरीज आते हैं जिनकी ड्रेसिंग होना होता है। इसके साथ ही कई मरीज प्लास्टर के भी आते हैं। लेकिन जब मरीज अस्पताल के ड्रेसिंग कक्ष 524 में पहुंचते हैं तो डे्रसिंग और प्लास्टर के लिए उपयोग होने वाला सामान नहीं कहकर बाहर से लाने के लिए कहा जाता है। फिर चाहे वह गरीबी रेखा के नीचे ही क्यों न हो, उसे भी बाजार से ही सामान खरीदकर लाना पड़ता है। हैरानी की बात है कि सिविल सर्जन कार्यालय के अनुसार वहां से जो भी डिमांड आती है उसके अनुसार पट्ट एवं प्लास्टर का सामान भेज दिया जाता है। सिविल सर्जन कार्यालय में पर्याप्त स्टॉक है। लेकिन ये समझ से परे है कि आखिर जिला अस्पताल में सामान आते ही कहां गायब हो जाता है। क्योंकि 4 महीने से भी अधिक समय से यही स्थिति बनीे हुई है। मरीज बाजार से सामान लाकर ड्रेसिंग कर रहे हैं। ऐसे में जिला अस्पताल प्रशासन पर ही सवालिया निशान लग गया है। आखिर सामान आने के बाद कहां गायब हो रहा है।
रिपोर्टर की कंपाउंडर से बातचीत
रिपोर्टर: पट्टी करवाना है
कंपाउंडर: हो जाएगी, पर्चा दिखाओ
रिपोर्टर: भाई की होना है।
कंपाउंडर: ठीक है पहले बाहर से 4 इंच की पट्टी ले आओ
रिपोर्टर: पट्टी तो अस्पताल से ही मिलती है
कंपाउंडर: नहीं, अभी है नहीं
रिपोर्टर: कब से नहीं आ रही है
कंपाउंडर: अरे बहुत समय से नहीं आ रही है। 4 महीने से भी अधिक हो गए हैं।
बिना ग्लब्स के ड्रेसिंग, नहीं बरतते सावधानी
ड्रेसिंग करते समय कई सावधानी बरतने की जरूरत होती है। जिसमें ग्लब्स सबसे महत्वपूर्ण है। बिना ग्लब्ज के ड्रेसिंग करने से इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। अस्पताल में नियमों को दरकिनार कर बिना ग्लब्ज के ही ड्रेसिंग की जा रही है। जबकि शासन द्वारा ग्लब्स अस्पताल में मुहैया कराए जाते हैं।
मेडिकल संचालकों से सांठगांठ
जिला अस्पताल में पट्टी और प्लास्टर के लिए सामान बाहर से मंगाया जाता है। जिससे सीधा फायदा अगर किसी को है तो वह मेडिकल स्टोर्स वालों को है। जिसके चलते अस्पताल प्रशासन द्वारा मेडिकल संचालकों के साथ सांठगांठ कर ये काम किया जा रहा है। अमूमन एक प्लास्टर की बात करें तो 200 से 800 रुपए तक खर्च आता है। प्लास्टर के साइज के हिसाब से इसकी कीमत निर्धारित होती है।
सीधी बात
जिला अस्पताल में पट्टी एवं प्लास्टर का सामान है?
हां सभी सामान पर्याप्त है।
लेकिन अस्पताल में तो मरीजों को बाजार से सामान खरीदने को कहा जाता है?
अस्पताल से जो भी डिमांड आती है उसके अनुसार सामान भेज दिया जाता है। स्टॉक में कोई कमी नहीं है
इसका मतलब है कि अस्पताल प्रशासन द्वारा सामान को बेच दिया जाता है?
ये नहीं पता, हमारे यहां से स्टॉक भेज दिया जाता है।
एक महीने में कितना स्टॉक जाता है?
यह तो देखकर ही बता पाऊंगा।
डॉ. वीके गुप्ता, सिविल सर्जन

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