रिपोर्टर: पट्टी करवाना है
कंपाउंडर: हो जाएगी, पर्चा दिखाओ
रिपोर्टर: भाई की होना है।
कंपाउंडर: ठीक है पहले बाहर से 4 इंच की पट्टी ले आओ
रिपोर्टर: पट्टी तो अस्पताल से ही मिलती है
कंपाउंडर: नहीं, अभी है नहीं
रिपोर्टर: कब से नहीं आ रही है
कंपाउंडर: अरे बहुत समय से नहीं आ रही है। 4 महीने से भी अधिक हो गए हैं।
ड्रेसिंग करते समय कई सावधानी बरतने की जरूरत होती है। जिसमें ग्लब्स सबसे महत्वपूर्ण है। बिना ग्लब्ज के ड्रेसिंग करने से इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। अस्पताल में नियमों को दरकिनार कर बिना ग्लब्ज के ही ड्रेसिंग की जा रही है। जबकि शासन द्वारा ग्लब्स अस्पताल में मुहैया कराए जाते हैं।
जिला अस्पताल में पट्टी और प्लास्टर के लिए सामान बाहर से मंगाया जाता है। जिससे सीधा फायदा अगर किसी को है तो वह मेडिकल स्टोर्स वालों को है। जिसके चलते अस्पताल प्रशासन द्वारा मेडिकल संचालकों के साथ सांठगांठ कर ये काम किया जा रहा है। अमूमन एक प्लास्टर की बात करें तो 200 से 800 रुपए तक खर्च आता है। प्लास्टर के साइज के हिसाब से इसकी कीमत निर्धारित होती है।
जिला अस्पताल में पट्टी एवं प्लास्टर का सामान है?
हां सभी सामान पर्याप्त है।
लेकिन अस्पताल में तो मरीजों को बाजार से सामान खरीदने को कहा जाता है?
अस्पताल से जो भी डिमांड आती है उसके अनुसार सामान भेज दिया जाता है। स्टॉक में कोई कमी नहीं है
इसका मतलब है कि अस्पताल प्रशासन द्वारा सामान को बेच दिया जाता है?
ये नहीं पता, हमारे यहां से स्टॉक भेज दिया जाता है।
एक महीने में कितना स्टॉक जाता है?
यह तो देखकर ही बता पाऊंगा।
डॉ. वीके गुप्ता, सिविल सर्जन