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ग्वालियर

अपने PETS  से किया क्रूर व्यवहार तो आपकी खैर नहीं, ये नियम जरूर पढ़ें

अगर आपके आसपास पशु पक्षियों को बेचने वाली कोई दुकान या एेसे लोग हैं जो अमानवीय रूप से पशु पक्षियों को पिंजरों में कैद करते है, उनके साथ क्रूरता करते हैं तो आप उनकी शिकायत राज्य और केंद्र सरकार के विभागों से करके उनकी दुकानों के लायसेंस रद्द करा सकेंगे।

ग्वालियरDec 23, 2016 / 11:30 am

Shyamendra Parihar

brutal behavior with pets

brutal behavior with pets

आकाश सक्सेना @ ग्वालियर

अगर आपके आसपास पशु पक्षियों को बेचने वाली कोई दुकान या एेसे लोग हैं जो अमानवीय रूप से पशु पक्षियों को पिंजरों में कैद करते है, उनके साथ क्रूरता करते हैं तो आप उनकी शिकायत राज्य और केंद्र सरकार के विभागों से करके उनकी दुकानों के लायसेंस रद्द करा सकेंगे। इतना ही नहीं उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरणों में कायमी भी हो सकेगी।





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शहर में ही नहीं, बल्कि देश के किसी भी राज्य में पालतु पशु एवं पक्षियों की दुकानें कुकुरमुत्तों की तरह नहीं खुल सकेंगी। डॉग, केट एवं पक्षियों आदि के पर, पंूछ, और कान आदि अंगों को काटने और कलर करके बेचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए केंद्र सरकार ने पशुक्रूरता अधिनियम 1960 की धारा 39 के तहत पशु क्रूरता पेट्स शॉप नियम 2016 का प्रस्ताव 16 दिसंबर को प्रस्ताव तैयार किया है। इस पर अगले 30 दिनों तक दावे आपत्ति किए जा सकते हैं। इसके बाद यह नियम जस की तस लागू हो जाएगा।






पिछले कई वर्षों से प्राणियों की अवैध खरीदी फरोख्त और उनके साथ की जाने वाली कू्ररता को देखते हुए देशभर से जीव प्रेमियों ने अपने-अपने स्तर पर अभियान चला रखे थे। उक्त नियम से अमानवीय रूप से खुलने वाली दुकानों पर अंकुश लगाया जा सके।

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रिकॉर्ड रखना होगा
खरीदने और बेचे गए पेट्स के साथ ही उनके मरने और बीमारी का भी रिकॉर्ड रखना होगा। प्रतिवर्ष वार्षिक रिपोर्ट केंद्रीय वेलफेयर ऑफ इंडिया को एक प्रति भेजनी होगी।

यह करना होगा दुकान में
 –प्रत्येक पेट्स के अनुसार केज का तापमान कंट्रोल करना होगा।
-एज गु्रप के अनुसार ही पेट्स को केज में रखा जा सकेगा।
 -50 पेट्स रखने पर कम से कम दो एक्सपर्ट कर्मचारी रखने ही होंगे।
-स्वास्थ्य संबंधी दवाएं आवश्यक उपकरण रखने होंगे।
-जूनोटिक डिसीज होने पर राज्य और केंद्र को तत्काल सूचना देनी होगी।
– मृत पेट्स को तत्काल हटाकर निस्पादन करना होगा।
– आपात विद्युत व्यवस्था, स्वच्छ पानी और दुकान ढांचा स्थाई होगा।
-माह में एक बार पशु चिकित्सक से सभी पेट्स का परीक्षण करना अनिवार्य होगा।

दुकान नहीं 
पेट्स शॉप की दुकानें ध्वनि प्रदूषण एरिया में नहीं खोली जा सकेंगी। आसपास डीजे आदि नहीं होना चाहिए
हेवी टै्रफिक वाले रोड पर यह दुकानें नहीं होंगी।

यहां पंजीयन
स्टेट एनीमल वेलफेयर बोर्ड में पंजीयन कराना होगा।
एनीमल वेलयफेयर ऑफ इंडिया
दुकानें पहले से पंजीकृत हैं उनका पुन: परीक्षण होगा


प्रदर्शन नहीं
दुकान के बाहर किसी भी पेट्स का प्रदर्शन विक्रय के लिए नहीं किया जाएगा।
बीमार पेट्स को दुकान के अंदर प्रदर्शित नहीं किया जाएगा। वह केवल बीमार कक्ष में ही रहेंगे।

विक्रय नहीं
बिना पशु चिकित्सक द्वारा दिए स्वास्थ्य प्रमाण पत्र के पेट्स का विक्रय नहीं होगा।
बीमार और गर्भस्थ पेट्स का विक्रय नहीं हो सकेगा।
न ही पेट्स के अंगों का विक्रय दुकान पर होगा।

नहीं था कोई नियम
“पहले से कोई नियम न होने से कोई भी पशु-पक्षियों को दुकानों में ठूंस कर बेचने का काम शुरू कर देता था। जिससे जीवों के हालात अमानवीय हो गए थे। इसके लिए लंबे समय से नियम बनाने की मांग की जा रही थी।”
गौरव परिहार, वन्य प्राणी एक्सपर्ट
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