समाज संपन्न होगा तो रुक जाएंगे अपराध
आर्थिक रूप से संपन्न समाज ही नैतिक मूल्यों का धारण कर सकता है। जब नैतिक मूल्य अपनाए जाते हैं तो अपराध स्वत: कम हो जाते हैं।
समाज संपन्न होगा तो रुक जाएंगे अपराध
ग्वालियर. भारत देश की अर्थ व्यवस्था देशी गाय पर ही आधारित थी। एक ओर जहां गाय के घी, दूध, मख्खन, दही, मट्ठा, गो मूत्र जहां लोगों को निरोगी जीवन देते थे। लोग अस्पतालों में नहीं जाते थे, लंबा जीवन जीते और बीमारी पर लाखों खर्च कर बर्बाद नहीं होते थे। वहीं गोबर आदि से पंचगव्य, खाद आदि मिलता था जो जैविक खेती का आधार था। किसानों को यूरिया, बीज, कैमिकल खरीदने की जरूरत नहीं थी, किसान संपन्न और आत्म निर्भर हुआ करते थे। आर्थिक रूप से संपन्न समाज ही नैतिक मूल्यों का धारण कर सकता है। जब नैतिक मूल्य अपनाए जाते हैं तो अपराध स्वत: कम हो जाते हैं। इसी प्रकार पानी के बिना जीवन कि कल्पना नहीं की जा सकती। पानी के लिए जरूरी है कि वृक्षों का संरक्षण किया जा सके। आज कनाडा में एक व्यक्ति पर 9 हजार पेड़ हैं जबकि भारत में एक व्यक्ति पर मात्र 28 पेड़ बचे हैं। इसलिए यह हालात और भी भयानक हो रहे हैं। अगर हमने आज अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझा तो आने वाला समय बहुत ही खतरनाक होगा। पेड़ नहीं होंगे तो पानी नहीं आएगा। इन सबके लिए जरूरी है कि गाय और वृक्षों का संरक्षण हो। यह बात पत्रिका एक्सपोज से पुलिस महानिरीक्षक ने गाय और पर्यावरण संरक्षण पर पुलिस की भूमिका पर चर्चा करते हुए कही।
? किसान गायों को छोड़ रहे हैं, गायों की दुर्दशा हो रही है इसे कैसेे रोका जा सकता है।
– किसानों को गो आधारित खेती पर जागरुक करने की आवश्यकता है, तब तक गो शालाओं की जगह गो अभयारण्य बनाकर गो वंश का संरक्षण किया जा सकता है। जिसमें गाय जंगल में चरे और एक समय भोजन कराया जाए इससे कम खर्च में कम समय में अधिकांश गो वंश का संरक्षण हो सकेगा।
? हर साल लाखों की संख्या में पौधरोपण का टारगेट होता है। लेकिन इतनी संख्या में नर्सरी नहीं होतीं जहां बड़े आकार के पौधे मिल सकें।
– यह बात बिल्कुल सही है। इसके लिए हम लोगों को जागरुक कर रहे हैं। कोई सरकारी या निजी स्कूल, कार्यालय, अस्पताल, कॉलेज आदि के परिसर में जगह है तो वहां पर नर्सरी लगाई जाए। चार साल तक पौधे वहां तैयार किए जाएं इसके बाद ही उन्हें प्लांट किया जाए।
? गाय और हरियाली को बचाने के लिए पुलिस की क्या भूमिका मानते हैं।
– पुलिस जवान और अफसर हमेशा जनता के समाज के बीच रहते हैं। लोगों को वह प्रेरित भी कर सकते हैं। जहां भी आवश्यक समय पुलिस अफसरों के पास है। वहां वह पुलिसिंग के अलावा समाज के लिए आगे आकर गाय और हरियाली को संरक्षित करने का प्रयास बखूबी कर सकते हैं। इसके लिए हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।
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