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ग्वालियर

यहां अगर हुआ ब्लास्ट तो मच जाएगा कोहराम , जानिए क्या है पूरा मामला

यहां अगर हुआ ब्लास्ट तो मच जाएगा कोहराम , जानिए क्या है पूरा मामला

ग्वालियरJul 18, 2019 / 02:04 pm

Parmanand Prajapati

यहां अगर हुआ ब्लास्ट तो मच जाएगा कोहराम , जानिए क्या है पूरा मामला

यहां अगर हुआ ब्लास्ट तो मच जाएगा कोहराम , जानिए क्या है पूरा मामला

ग्वालियर. शहर के रिहायशी इलाकों और घनी बस्तियों में गैस रिपेयरिंग सेंटर चोरी-छिपे चल रहे हैं। जहां पर किसी भी प्रकार के छोटे और बड़े सिलेंडरों के अलावा गाडियों के सिलेंडरों में भी गैस रिफलिंग की जाती है। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था और आगजनी जैसी घटना पर अंकुश लगाए जाने के लिए कोई इंतजाम तक नहीं रहते हैं। ऐसे में रिपेयरिंग सेंटरों के संचालकों को केवल पैसों की चिंता रहती है और वह बाजार से एक्सट्रा पैसे लेकर सिलेंडरों में गैस भर देते हैं। अहम बात तो यह है कि इन गैस रिपेयरिंग सेंटरों में भारी मात्रा में गैस सिलेंडर रखे रहते हैं, जिनके द्वारा ग्राहक आते ही गैस उपलब्ध करा दी जाती है। शहर के रिहायशी इलाकों में खुले इन गैस रिपेयरिंग सेंटरों की जांच कराए जाने के संबंध में स्थानीय प्रशासन द्वासरा कोई सुध नहीं ली जा रही है। इस बात का खुलासा एक्सपोज रिपोर्टर द्वारा गिरवाई क्षेत्र में संचालित होने वाले गैस रिपेयरिंग सेंटर पर स्टिंग कर किया।

एक्सपोज रिपोर्टर द्वारा जब गिरवाई क्षेत्र में संचालित होने वाले गैैस रिपेयरिंग सेंटर पर गैस रिफलिंग का जायजा लिया तो पता चला कि घनी बस्ती के बीचों-बीच ही एक मकान में गैस रिपेयरिंग सेंटर खुला हुआ था, जिसमें गैस सुधारने के कई उपकरण रखे थे। साथ ही कौने में कुछ बड़े सिलेंडर भी रखे हुए थे, इन्हीं गैस सिलेंडरों में से ही ग्राहकों के सिलेंडरों में गैस भरे जाने का काम किया जाता है। जब रिपोर्टर द्वारा गैस सिलेंडर में गैस भरवाए जाने की बात कही तो सेंटर पर बैठी महिला ने कहा कि अभी बेटा कहीं चला गया है थोड़ी देर में आने के बाद भरवा ले जाना, कुछ देर इंतजार करने के बाद एक व्यक्ति जब वहां पहुंचा जब उससे गैस भरवाने की बात कही तो उसने कहा कि 75 रूपए किलो के हिसाब से मिलेगी, जब उससे कहा कि बाजार में तो 50 रुपए लीटर के हिसाब से मिलती है तो उसका कहना था कि बाजार में जाकर भरवा लो यहां से 75 रुपए में और किलो के हिसाब से ही मिलेगी। साथ ही भरवाई का पैसा अलग से देना होगा। इस तरह से गैस रिपेयरिंग सेंटरों पर गैस रिफलिंग का काम चल रहा है।
रिफलिंग करने वाले संतोष साहू से रिपोर्टर की बातचीत
रिपोर्टर- सिलेंडर मेें गैस भरवानी है, भर जाएगी क्या ?
संतोष- हां भर जाएगी, कौन सा सिलेंडर है।

रिपोर्टर- बड़ा सिलेंडर है, इंडेन एजेंसी का ?
संतोष- अरे किसी भी एजेंसी का हो, ले आओ भर देंगे।
रिपोर्टर- सिलेंडर गाड़ी पर रखा है, कितने रुपए लीटर में भरोगे ?
संतोष- ले आओ, लेकिन लीटर के हिसाब से नहीं, किलो के हिसाब से भरते हैं । वो भी ७५ रुपए प्रति किलो के हिसाब से और भरवाई के अलग से पैसे देने होंगे।
रिपोर्टर- अरे बाजार में तो ५० रुपए लीटर के हिसाब से भरते हैं, फिर आप ज्यादा क्यों ले रहे हो ?
संतोष- भाई यहां दुकान खोलकर बैठे हैं, खर्चा भी निकालना होता है।

रिपोर्टर- गैस भरने के लिए इतनी संख्या में सिलेंडर कहां से लाते हो ?
संतोष- भाई ये तो सब सेंटिंग का काम रहता है, गाड़ी वालों को एक्सट्रा पैसा देने पर ही सिलेंडर मिल पाते हैं।
रिपोर्टर- इस तरह से रिहायशी इलाके में रिफलिंग करते हो, कोई कार्रवाई नहीं होती ?
संतोष- किस बात की कार्रवाई, यह हमारा रोज का काम है और आप ज्यादा पूछताछ करने वाले कौन होते हो, गैस भरवानी है तो भरवाओ और निकलो।
घटना पर काबू पाने के नहीं कोई इंतजाम- रिहायशी इलाके में गैस रिफलिंग करने वाले सेंटरों पर न तो फायर सिस्टम लगे रहते हैं और न ही किसी भी प्रकार के अग्नि शमन यंत्र, इसके बावजूद भी इन रिफलिंग सेंटरों पर चोरी-छिपे गैस की रिफलिंग करने का काम चल रहा है। रिफलिंग करने वाले लोगों द्वारा इस बात का भी ध्यान नहीं रखा जाता है कि वह किसी सुरक्षित स्थान पर रिफलिंग करें, वह तो केवल पैसों के लालच में दुकान में ही एक पाइप लगाकर एक सिलेंडर से दूसरे सिलेंडर में गैस भर देते हैं। ऐसे में अगर किसी प्रकार की आगजनी की घटना घटित हो जाए तो उस पर काबू पाने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं रहते है। जबकि पूर्व में रिहायशी इलाकों में गैस रिफलिंग करने के दौरान घटनाएं भी घटित हो चुकी हैं, ऐसे में प्रशासन की अनदेखी का फायदा उठाकर ही गैस रिफलिंग का काम घनी बस्तियों में चल रहा है।
सादा तौल कांटों और बांटों का करते हैं उपयोग- गैस रिफलिंग का काम करने वाले लोगों द्वारा गैस की माप करने के लिए किसी भी इलेक्ट्रोनिक कांटों का उपयोग नहीं किया जाता है। वह सेंटरों मेें ही सादा तौल कांटे और बांट रखकर ही किलो के हिसाब से गैस की माप करते हैं, जिसमें ग्राहकों को भी इस बात की जानकारी नहीं मिल पाती है कि आखिर उन्हें कितनी मात्रा में गैस दी जा रही है। इस तरह से सादा तौल कांटों पर गैस की तौल कर सेंटर संचालकों द्वारा ग्राहकों को भी खुलेआम ठगी का शिकार बनाया जा रहा है। जिसमें भी सेंटर संचालकों को काफी फायदा होता है।
डिलेवरी करने वालों से रहती है सांठ-गांठ- एजेंसियों पर गैस सिलेंडरों की डिलेवरी करने वाले कर्मचारियों से ही गैस रिपेयरिंग करने वाले संचालकों की सांठ-गंाठ रहती है। एजेंसियों पर घरों तक गैस सिलेंडर पहुंचाए जाने वाले कर्मचारियों द्वारा लोगों से साफ तौर पर मना कर दिया जाता है कि अभी उनका सिलेंडर आया नहीं है और यही सिलेंडर कर्मचारियों द्वारा रिपेयरिंग सेंटरों पर पहुंचा दिया जाता है। जिसमें कर्मचारियों को कमीशन भी मिलता है। इसी के साथ ही कई कर्मचारियों द्वारा तो घरों तक सिलेंडर पहुंचाने के पूर्व में ही गैस निकाल ली जाती है। इस तरह से उनका पूरा सिलेंडर तैयार हो जाता है।
जांच कराकर करेंगे कार्रवाई- किसी क्षेत्र में गैस रिफलिंग नहीं की जा सकती है। पूर्व में भी कई जगह छापामार कार्रवाई कर गैस रिफलिंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। फिर भी अगर किसी क्षेत्र में गैस रिफलिंग का काम चल रहा है तो इस संबंध में शीघ्र ही जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
मनोज वाष्र्णेय- खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी

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