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ग्वालियर

आयकर कानून सेक्शन 43बी…यह कानून उतना घातक नहीं है जितना हम समझ रहे हैं

– चैंबर भवन में हुई परिचर्चा

ग्वालियरFeb 10, 2024 / 02:53 am

Rahul Adityarai Shrivastava

आयकर कानून सेक्शन 43बी...यह कानून उतना घातक नहीं है जितना हम समझ रहे हैं

आयकर कानून सेक्शन 43बी…यह कानून उतना घातक नहीं है जितना हम समझ रहे हैं

आयकर कानून सेक्शन 43बी सिर्फ माल खरीदने वालों पर लागू होगा, बेचने वाले चिंतित ना हो

ग्वालियर. मध्यप्रदेश चैंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री की ओर से शुक्रवार की शाम चैंबर भवन में एमएसएमई एवं आयकर कानून सेक्शन 43बी पर परिचर्चा हुई। परिचर्चा में मौजूद सीए अशोक विजयवर्गीय ने कहा कि यह कानून उतना घातक नहीं है जितना हम समझ रहे हैं। यह कानून सभी की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए लाया गया है। इसे जब हम एक पक्ष से देखते हैं तो परेशान होते हैं। जिनसे हमने माल खरीदा है, उन्हें हमें 45 दिन में भुगतान करना है। दूसरा पक्ष यह भी सोचें कि जब हमने किसी को माल बेचा है तो उससे 45 दिन में भुगतान मांगे और पेमेंट जब समय सीमा में होगा तो सभी के आर्थिक हालात सुधरेंगे। यह कानून सिर्फ उन पर लागू होगा जिन्होंने माल खरीदा है, माल बेचने वाले इससे चिंतित न हो। इस कानून में एमएसएमईडी एक्ट के तहत आने वाले माइक्रो एवं स्मॉल यूनिट को धारा 43बी(एच) के तहत कवर किया गया है, मीडियम इंटरप्राइेज को इसमें कवर नहीं किया गया है। इसलिए मीडियम इंटरप्राइजेज इससे बाहर हैं। इनकम टैक्स में एमएसएमई की परिभाषा तय नहीं है इसलिए एमएसएमईडी एक्ट की परिभाषा ही मान्य होगी। इसलिए जो इस कानून के तहत रजिस्टर्ड हैं, उन पर ही यह कानून आरोपित होगा।
धारा 43बी (एच) ट्रेडर्स के ऊपर लागू नहीं

कैट एवं द होलसेल क्लॉथ मर्केटाइल एसोसिएशन नया बाजार ने शुक्रवार को एमएसएमई के नए प्रावधानों को लेकर परिचर्चा की। इसमें इंदौर से आए सीए गौरव अग्रवाल ने कहा कि आयकर की नई धारा 43बी (एच) में एमएसएमई के माइक्रो एवं स्मॉल यूनिट ही दायरे में आएंगे। सीए नितिन पहारिया ने कहा कि इससे औद्योगिक एवं निर्माण इकाइयां माइक्रो और स्मॉल यूनिट की बजाय मीडियम यूनिट से खरीददारी को प्राथमिकता देगी, जिससे माइक्रो व स्मॉल यूनिट को नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि भुगतान की सीमा 45 की बजाय 90 दिन की जानी चाहिए।

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