जेयू में होती रही इंदौर की चर्चा
जिस तरह की कमियां जेयू में हैं, लगभग उसी तरह की कमियों को आधार बनाकर सरकार ने सोमवार को देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय इंदौर में धारा-52 लागू कर दी है। दोपहर में आए इंदौर के निर्णय के बाद अब जेयू के स्टाफ और छात्रों में चर्चा है कि प्रदेश सरकार जेयू को लेकर भी जल्द ही निर्णय ले सकती है, ताकि व्यवस्थाएं बेहतर हो सकें।
एक कंपनी ने बढ़ाई 5 हजार छात्रों की परेशानी
जेयू की सभी अध्यययनशालाओं का कंप्यूटराइजेशन करने के साथ-साथ छात्रों का परीक्षा परिणाम बनाने के लिए यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम लाया गया है, लेकिन खामियों की वजह से यूनिवर्सिटी की वर्किंग पेपरलेस नहीं हो पा रही है। कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने नागपुर की माइक्रो प्रो कंपनी को चुना था, लेकिन यह कंपनी अभी तक एक भी काम सही तरीके से नहीं कर पाई है। फिर भी विवि ने इसे नहीं बदला है। कंपनी द्वारा जारी परीक्षा परिणामों में लगातार त्रुटियां सामने आने से लगभग 5 हजार छात्र परेशान हैं। छात्रों के प्रदर्शन के बाद कुलसचिव ने कंपनी को हटाने के लिए ईसी में प्रस्ताव लाने की बात कहकर किनारा कर लिया। विवि से संबद्ध 450 कॉलेजों के छात्रों के परिणाम में त्रुटियां करने और समय पर रिजल्ट घोषित न करने की वजह से हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर लगा है।
इनका नहीं मिलता सही जवाब |
मल्टी आर्ट कॉम्प्लेक्स
2015 में बनना शुरू हुआ था। इसे 2016-17 में पूरा हो जाना चाहिए था। लेकिन काम पिछडऩे से इसकी लागत लगभग 14 करोड़ रुपए से बढकऱ 23 करोड़ हुई। अब यह बढकऱ लगभग 30 करोड़ रुपए हो चुकी है। यह छात्रों के साथ ही शहरवासियों को कार्यक्रमों के आयोजन के लिए सभी सुविधायुक्त प्लेटफार्म उपलब्ध कराता। इसके निर्माण में आर्थिक अनियमितताएं और कमियां सामने आ चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
स्टडी सेंटर
जेयू की अध्ययन शाला (स्कूल ऑफ स्टडीज) में लगभग 2500 छात्र हैं।पढ़ाई का बेहतर वातावरण उपलब्ध कराने के लिए स्टडी सेंटर का निर्माण हो रहा है। यह छह महीने पहले शुरू कराया गया था, अभी तक इसमें उल्लेखनीय प्रगति नहीं हो पाई है। सेंटर की कुल लागत लगभग 30 करोड़ रुपए है, अगर इसके निर्माण में भी देर हुई तो लागत बढऩा तय है।
स्वीमिंग पूल
लगभग 7 करोड़ रुपए की लागत से जेयू में छात्रों के लिए स्वीमिंग पूल बनाना तय हुआ। पहले इसे खेल मैदान में ही बनाना था। विवि के इंजीनियरिंग विभाग की सलाह पर निर्माण शुरू भी हो गया था, जो किसी अज्ञात कारण से रोक दिया गया। पूल का स्ट्रक्चर आकार लेने लगा था, इसको रोकने से लगभग 6 लाख रुपए व्यर्थ चले गए। अब पूल दूसरी जगह बनाया जा रहा है।