कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने उडाय़ा माजक
भाजपा ने जब केपी यादव को गुना संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार घोषित किया था तो कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने केपी यादव की इसी सेल्फी को वायरल करते हुए उनका मजाक उड़ाया था और कहा था कि भाजपा ने ऐसे व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया है जो सिंधिया के साथ सेल्फी लेने के लिए कभी कतार में लगता है। वहीं कई लोग तो यह भी बताते थे कि केपी यादव को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ही अपने सामने खड़ा करवाया है ताकि कमजोर उम्मीदवार के सामने वो आसानी से जीत सके। हालांकि 23 मई को लोकसभा चुनाव का परिणाम सामने आने के बाद कांग्रेस को मानों सांप ही सूंघ गया। कमजोर प्रत्याशी माने जा रहे केपी यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे दिग्गज नेता को मात देकर गुना से लोकसभा चुनाव जीत लिया था।
केपी यादव में जो 2018 में मुंगावली जिला पंचायत में सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि हुआ करते थे। इसी बीच मुंगावली विधायक और कांग्रेस के दिग्गज नेता कालूखेड़ा का अचानक से निधन हो गया। अब मुंगावली में उपचुनाव होना थे तभी केपी यादव ने उपचुनाव में सिंधिया से टिकट की मांग की,उन्हें विश्वास था कि टिकट उन्हीं को मिलेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और टिकट ऐन वक्त पर कट गया। इसके बाद केपी यादव ने तत्कालीन सत्तारूढ़ भाजपा व पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के समक्ष भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट भी दिया,लेकिन केपी को 2100 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद पार्टी ने उन्हें गुना से लोकसभा प्रत्याशी बनाया।
जब भाजपा ने यादव की उम्मीदवारी की घोषणा की,तो सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी ने महाराज के साथ सेल्फी लेने वाले व्यक्ति के रूप में वर्णन करते हुए,प्रतियोगिता को खारिज कर दिया। वहीं सिंधिया के पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के प्रभारी बनाए जाने के बाद वह अपने पति के लिए प्रमुख प्रचारक थीं,उनकी अनुपस्थिति में वह घर घर जाकर लोगों से सिंधिया के लिए वोट मांगती रहीं। कुछ लोगों की मानें तो सेल्फी कमेंट ने यादव को और मेहनत करते देखा। परिणामों से पता चला कि यादव के लिए लोगों ने आठ विधानसभा क्षेत्रों में से सात में पूर्व केंद्रीय मंत्री की तुलना में अधिक वोट डाले,जबकि यादव जहां पांच महीने पहले हार गए थे,वह भी उन्हें अधिक वोट मिले।
लोकसभा चुनाव में सिंधिया को हराने के बाद पहली बार संसद पहुंचे केपी यादव ने भले ही अब सेल्फी पीएम नरेंद्र मोदी के साथ ली हो लेकिन निशाने पर सिंधिया को माना जा रहा है। आपको बता दें कि ये सेल्फी प्रदेश की राजनीति में खूब सुर्खियां बटोर रही है। वहीं भाजपा इसे जहां कांग्रेस के लिए सबक बता रही है और तंज कसते हुए कह रही है कि कांग्रेस के पास छोटे कार्यकर्ताओं के लिए कोई जगह नहीं जबकि बीजेपी में ऐसा कुछ नहीं है और यहां छोटे कार्यकर्ता की भी कदर है।
कभी सिंधिया के समर्थक थे केपी यादव
पिछले 67 साल से सिंधिया परिवार की रिजर्व गुना सीट पर इसी परिवार के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया को शिकस्त देने वाले डॉ. केपी यादव ने राजनीति का क-ख-ग भी सिंधिया से ही सीखा। इतना ही नहीं वे सिंधिया के नजदीकी होने के साथ-साथ उनके हर कार्यक्रम में न केवल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे, बल्कि सिंधिया के वाहन के आगे खड़े होकर सेल्फी भी लेकर अपनी फेसबुक पर शेयर करते थे। केपी के पिता की माधवराव सिंधिया से अच्छी मित्रता थी, इसलिए दोनों के बेटों की भी बचपन से ही नजदीकियां रहीं। मुंगावली में रहने वाले डॉ. केपी यादव के पिता रघुवीर सिंह यादव कांग्रेसी हैं तथा वे गुना जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं। रघुवीर सिंह की माधवराव सिंधिया से अच्छी मित्रता व नजदीकियां थीं, जिसके चलते यह पूरा परिवार ही कांग्रेसी रहा। चूंकि पिता की दोस्ती माधवराव सिंधिया से थी, इसलिए जब अपने पिता के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया उस क्षेत्र में आते थे, उनसे मिलने के लिए केपी यादव भी अपने पिता के साथ जाते थे।
इसी दौरान ज्योतिरादित्य व केपी यादव की भी दोस्ती हो गई। समय गुजरने के साथ ही केपी यादव न केवल सिंधिया फैंस क्लब मप्र के उपाध्यक्ष रहे, बल्कि अशोकनगर जिला पंचायत में वे सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि भी रहे। केपी यादव की पत्नी जिला पंचायत सदस्य हैं। बीएएमएस डॉक्टरी की उपाधि लेने वाले केपी यादव का अपना क्लीनिक भी है और एक बड़ा अस्पताल जब उन्होंने 2015 में खोला था, तो उसका उद्घाटन भी सिंधिया ने ही किया था। चिकित्सीय कार्य के अलावा राजनीति में सक्रियता के चलते केपी यादव का नाम और पहचान बढ़ती गई।