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इतना ही नहीं वे सिंधिया के नजदीकी होने के साथ-साथ उनके हर कार्यक्रम में न केवल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे, बल्कि सिंधिया के वाहन के आगे खड़े होकर सेल्फी भी लेकर अपनी फेसबुक पर शेयर करते थे। केपी के पिता की माधवराव सिंधिया से अच्छी मित्रता थी,इसलिए दोनों के बेटों की भी बचपन से ही नजदीकियां रहीं। मुंगावली में रहने वाले डॉ. केपी यादव के पिता रघुवीर सिंह यादव कांग्रेसी हैं तथा वे गुना जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं। यह भी पढ़ें
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रघुवीर सिंह की माधवराव सिंधिया से अच्छी मित्रता व नजदीकियां थीं,जिसके चलते यह पूरा परिवार ही कांग्रेसी रहा। चूंकि पिता की दोस्ती माधवराव सिंधिया से थी,इसलिए जब अपने पिता के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया उस क्षेत्र में आते थे,उनसे मिलने के लिए केपी यादव भी अपने पिता के साथ जाते थे। इसी दौरान ज्योतिरादित्य व केपी यादव की भी दोस्ती हो गई। समय गुजरने के साथ ही केपी यादव न केवल सिंधिया फैंस क्लब मप्र के उपाध्यक्ष रहे,बल्कि अशोकनगर जिला पंचायत में वे सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि भी रहे। केपी यादव की पत्नी जिला पंचायत सदस्य हैं। यह भी पढ़ें
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बीएएमएस डॉक्टरी की उपाधि लेने वाले केपी यादव का अपना क्लीनिक भी है और एक बड़ा अस्पताल जब उन्होंने 2015 में खोला था, तो उसका उद्घाटन भी सिंधिया ने ही किया था। चिकित्सीय कार्य के अलावा राजनीति में सक्रियता के चलते केपी यादव का नाम और पहचान बढ़ती गई। मुंगावली विधायक रहे महेंद्र सिंह कालूखेड़ा के आकस्मिक निधन के बाद जब यहां वर्ष 2018 में उपचुनाव हुआ,तो केपी यादव ने पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया से टिकट की मांग की। लेकिन सिंधिया ने टिकट केपी को न देते हुए बृजेंद्र सिंह यादव को दिया। यह भी पढ़ें
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हालांकि बृजेंद्र सिंह भी उपचुनाव जीत गए थे। लेकिन टिकट न मिलने से केपी यादव की अपने ही नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से इतनी नाराजगी हो गई कि उन्होंने शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ले ली।केपी यादव के भाजपा में शामिल होते ही विधानसभा आम चुनाव में भाजपा ने उन्हें मुंगावली से अपना प्रत्याशी बनाया, जबकि कांग्रेस से बृजेंद्र सिंह यादव को ही पुन: टिकट दिया गया।
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