ग्वालियर। बीहड़ों की ‘देवी’ पीताम्बरा के यहां आने वाले भक्तों में राजनेताओं से लेकर फिल्म स्टार्स तक शामिल हैं। इसे आस्था कहें या डर लेकिन कभी नेहरू से लेकर अटल बिहारी बाजपेई तक ने देवी के आगे अपना मस्तक झुकाया। सत्ता के सिहासन पर बने रहने के लिए किसी ने गुप्त पूजा रखवाई, तो कोई दुश्मनों पर विजय की मनोकामना मागकर चुपचाप चला गया। आखिर ऐसा क्या है जो पॉवरफुल शक्सियत को यहां आने पर मजबूर करता है….
अंचल के दतिया में बीते रोज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह में मां पीताम्बरा के दर्शन किए और उनसे आर्शीवाद लिया। भाजपा के शीर्ष नेताओं की ये यात्रा इसलिए भी खास थी क्योंकि यूपी में होने वाले चुनावों से पहले से बीजेपी के इन नेताओं ने मां पीताम्बरा की विशेष पूजा अर्चना की। बीजेपी अध्यक्ष यहां पूजा करने के बाद जीत के प्रति आश्वस्त नजर आए।
नेहरू से अटल तक ने लगाई दौड़
देश की राजनीति में ये पहली बार नहीं है जब सियासत के महारथी मां पीताम्बरा के दरबार में आए हो। नेता हो या अभिनेता जब भी कोई संकट में आता है तो उसे मां पीताम्बरा सबसे पहले याद आती हैं। यहां देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी, पीवी नरसिम्हा, राजमाता विजयाराजे सिंधिया सहित देश की कई हस्तियां मां की शरण में आ चुके हैं और मां ने हर बार उनकी मुराद पूरी की है।
navratri-2016-famous-tample-of-maa-durga-1261212/”> यहाँ गिरी थी सती माता की नाभि, ये है सिद्धपीठ की कहानी तो इसलिए सब आते हैं माता के दरबार में
मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा को ‘राजसत्ता की देवी’ माना जाता है। इसी रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं। राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं।
मां पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी है और राजसत्ता प्राप्ति में मां की पूजा का विशेष महत्व होता है। मां की मूर्ति में भी माता को शत्रु की जिव्हा पकड़े दिखाया है। इनकी पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है। शास्त्रों के जानकार बताते हैं कि भगवान परशुराम ने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए मां की उपासना की थी।
ये है चमत्कारी धाम
इस सिद्धपीठ की स्थापना 1935 में स्वामीजी के द्वारा की गई। ये चमत्कारी धाम स्वामीजी के जप और तप के कारण ही एक सिद्ध पीठ के रूप में जाना जाता है। भक्तों को मां के दर्शन एक छोटी सी खिड़की से ही होते हैं। मंदिर प्रांगण में स्थित वनखंडेश्वर महादेव शिवलिंग को महाभारत काल का बताया जाता है।
नेहरु ने कराया यज्ञ तो चीन ने बुला दी थी सेना वापिस
भारत और चीन के बीच1962 में हुए युद्ध में पीताम्बरा पीठ में फौजी अधिकारियों के अनुरोध पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने देश की रक्षा के लिए मां बगलामुखी की प्रेरणा से 51 कुंडीय महायज्ञ कराया था। परिणामस्वरूप 11वें दिन अंतिम आहुति के साथ ही चीन ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं। उस समय यज्ञ के लिए बनाई गई यज्ञशाला आज भी है। यहां लगी पट्टिका पर इस घटना का उल्लेख है।
कारगिल के समय अटल बिहारी ने ली मां की शरण
इसी प्रकार सन् 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में मां बगलामुखी ने देश की रक्षा की। साल 2000 में कारगिल में भारत-पाकिस्तान के बीच पुन: युद्ध हुआ, किंतु हमारे देश के कुछ विशिष्ट साधकों ने मां बगलामुखी की गुप्त रूप से पुन: साधनाएं एवं यज्ञ किए जिससे दुश्मनों को मुंह की खानी पड़ी। ऐसा कहा जाता है कि यह यज्ञ तात्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर यहां कराया गया था।
इंदिरा गांधी सहित ये भी आए
इंदिरा गांधी यहां 1971 में मां के दर्शन के लिए आई थी, जब वे दुबारा पीएम बनी। इससे पहले उमा भारती, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, राजमाता सिंधिया, बसुंधरा राजे, माधवराव, यशोधरा राजे सहित कई नेता आते रहे हैं।
संकट में संजय दत्त व सीएम शिवराज ने भी कराई पूजा
संजय दत्त जेल जाने से पहले मां के दरबार आए और यहां एक गुप्त पूजा कराई। इसका असर ये हुआ कि उन्हें जेल जाने के 15 दिनों के बाद ही पैरोल मिल गई। इसके अलावा व्यापमं घोटाले में सीएम शिवराज और उनकी पत्नी का नाम लिया गया तो वे मां की शरण में आए। शिवराज सत्निक कई सालों से मां के भक्त हैं।