ग्वालियर। ध्यान रखें, अगर आपके घर के पास या बस्ती के बीच कोई मैरिज गार्डन है, तो उसके संचालकों को किसी भी स्तर पर गंदगी न फैलाने दें। खासकर बचे हुए बासे खाने को घरों के आसपास की खुली जगह या नाले आदि में बिल्कुल न फेंकने दें। इसकी सडऩ से निकलने वाली मीथेन सहित अन्य हानिकारक गैसें आपको और आपके बच्चों को खतरे में डाल सकती हैं। इसी तरह समारोह के बाद निकलने वाले प्लास्टिक युक्त कचरे को जलाने से जहरीली कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस आपकी सांसों को धीरे-धीरे कम कर सकती हैं।
दरअसल, धनाढ्य वर्ग हो या मध्यम व निम्न मध्यम वर्ग शानो-शौकत का प्रदर्शन करने के लिए शादी-समारोह व अन्य आयोजन के लिए होटल या मैरिज गार्डन को प्राथमिकता दे रहा हैं। शहर के पॉश एरियाज में ही स्थित लगभग ५० गार्डन में से अधिकतर सरकारी नियमों की खिल्ली उड़ा रहे हैं।
अचलेश्वर मंदिर क्षेत्र में ही आधा दर्जन मैरिज गार्डन हैं, जिनका अपशिष्ट पास में मौजूद नाले में फेंका जा रहा है। इसके अलावा कचरे में आग लगाने से आसपास का क्षेत्र भी प्रदूषित होता है। इसके अलावा विनयनगर, चेतकपुरी, थाटीपुर, दर्पण कॉलोनी, तेंडुलकर मार्ग जैसे क्षेत्रों में खुलेआम फेंकी जाने वाली गंदगी से निकलने वालीं विषैली गैसें वातावरण को जहरीला कर रही हैं।
दिन दिशा निर्देशों का भी नहीं होता पालन
मै रिज गार्डन्स में अपशिष्ट के कारण होने वाले दुष्प्रभाव-प्रदूषण को लेकर एनजीटी में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका की सुनवाई के दौरान नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बोर्ड ने राज्य शासन, स्थानीय निकाय और प्रशासन को निर्देश जारी किए थे। बोर्ड के निर्देश में उल्लेख है कि बिना प्रदूषण बोर्ड की अनुमति के गार्डन संचालित नहीं होंगे। इसके लिए उन्हें पर्यावरण एवं प्रदूषण बोर्ड से एनओसी लेनी पड़ेगी।
बोर्ड निरीक्षण करके यह तय करेगा कि समारोह के दौरान प्रदूषण तो नहीं होता है। बिना एनओसी के जो गार्डन संचालित हैं, उनको बंद कर दिया जाए। इसके अलावा हाईकोर्ट के आदेशानुसार दिन में 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल से अधिक ध्वनि होने पर डीजे नहीं चल सकेंगे। इन नियमों का एक भी गार्डन संचालक पालन नहीं कर रहा हैं।