इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए जैन मुनि विहर्श सागर ने कहा कि हम विचार करने के लिए स्वतंत्र हैं तो अच्छा क्यों नहीं सोचते। विचारों को बांधा नहीं जा सकता। लेकिन अधिकांश लोग सिर्फ अपने विचारों के कारण ही दु:खी होते हैं। जबकि विचारों की शक्ति से जीवन का उद्धार किया जा सकता है। यदि आपके पास विचार शक्ति नहीं है तो आप दु:खों से बाहर नहीं निकल सकते। आप तो पुण्य कर्म के सहारे दु:खों से बाहर निकलने का इंतजार करते हो। अपनी पीड़ा को अच्छे विचारों से शांत करने के लिए चिंतन करना चाहिए।