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ग्वालियर

चंबल सेंचुरी के घडि़याल, डॉल्फिन का जीवन संकट में, इसकी वजह जाने जरूरी

विश्व में घडि़याल सेंचुरी कुछ ही नदियों में है जिसमें चंबल सेंचुरी में ६८-७० फीसदी है। चंबल नदी पर अवैध उत्खनन से घडि़यालों के जीवन पर बुरा असर हो रहा है। घडि़याल रेत में अंडे देते है जिससे अवैध उत्खनन की वजह से वो नष्ट हो जाते हैं। इसके अलाव राजस्थान पर चंबल नदी पर बाधा बनने से पानी का स्तर घटा है जिससे डॉल्फिन का जीवन भी प्रभावित होने लगा है। क्योंकि डॉल्फिन शुद्ध जल में रहती है जिसकी गहराई अधिक हो। चंबल नदी का पानी शुद्ध है इसमें उद्योगों का बेस्ट नहीं आता है। लेकिन पानी का स्तर कम होने से खत

ग्वालियरOct 16, 2019 / 09:54 pm

Pawan Dixit

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climate change

ग्वालियर। मानव और वन्य प्राणियों के बीच एक प्राकृतिक संतुलन बना रहे है। वन्य प्राणियों के प्राकृतिक रहवास पर मानव जीवन का कोई असर न हो। जलवायु परिवर्तन के साथ ही चंबल सेंचुरी के रहवासी जीवन घडि़याल और डॉल्फिन के जीवन पर बुरा असर न हो। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर शोध कराया जाएगा। यह प्रोजेक्ट पांच राज्यों के सेंचुरी क्षेत्र में चलेगा। यह बात यह बात फूड एण्ड एग्रीकल्चर ऑर्गेनायजेशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर आरबी सिन्हा ने पत्रकारवार्ता में कही।
उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य से जैफर (ग्लोबल एनवायरमेंट फेसिलिटी ) के प्रयास से विभिन्न विभागों का सहयोग नवंबर महीने में राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। कार्यशाला का विषय जलवायु परिवर्तन और उसका वन्य जीवों पर प्रभाव पर राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक मंथन करेंगे। इन वन्य जीवों के सुरक्षित जीवन के लिए फूड एण्ड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाईजेशन (एफएओ ) ने प्रोजेक्ट तैयार किया है। इस प्रोजेक्ट पर लगभग 400 करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश के चंबल सेंचुरी सहित अन्य राज्यों में काम शुरू होने जा रहा है। यह प्रोजेक्ट पर विशेष सात साल तक काम करेंगे। इनमें एग्रीकल्चर, वन विभाग, फूड विभाग सहित अन्य विभागों के अधिकारी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि यह प्रोजेक्ट मानव जीवन से वन्य प्राणियों के जीवन पर होनेवाले असर के बचाव को लेकर सेतु बनाने का काम करेगा। इस प्रोजेक्ट के कार्य में कृषि विभाग ही नोडल विभाग होगा। जबकि वन विभाग, जैव विविधता बोर्ड आदि विभाग के सहयोग के रूप में होंगे। इसी से संबंधित ग्वालियर में अगले माह सात से नौ नवंबर तक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की जाएगी। यह प्रोजेक्ट मध्यप्रदेश, उड़ीसा, उत्तराखंड, राजस्थान और मिजोरम से संबंधित अधिकारी मौजूद रहेंगे। इस मौके पर कृषि उपसंचालक डॉ. आनंद बड़ोनिया, एफएओ राहुल कृष्णम नितिन मौजूद रहे।

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