कंट्रोल रूम में परिवहन विभाग का सर्वर भी कनेक्ट होगा, जिससे वहां बैठकर किसी भी वाहन को यातायात के नियम का उल्लंघन करते देखेंगे तो तुरंत उसका नंबर आरटीओ से पता कर पुलिस को सूचित करेंगे। वाहन चालक बचकर नहीं निकल सके, इसलिए कैमरों के साथ रडार भी लगाए जाएंगे। नियम तोडकऱ भागने वाले वाहन दूसरे कैमरे की नजर में आते ही स्क्रीन पर उसके बारे में जानकारी देंगे।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के तहत पूरे दक्षिण इलाके को कैमरे की नजर में रखने के लिए गूगल, स्मार्ट सिटी, नगर निगम और पायलट प्रोजेक्ट के तहत लगने वाले कैमरों को कनेक्ट किया जाएगा। पूरे इलाके में लगने वाले करीब 550 कैमरों का डाटा कंट्रोल में सुरक्षित रखा जाएगा, जिसे जरूरत पडऩे पर इस्तेमाल किया जाएगा।
अभी तक शहर में कैमरों के जरिए निगरानी सिर्फ मेन रोड तक सीमित है, इसलिए तमाम अपराधों में बदमाश अपराध कर गलियों में घुसकर पुलिस को चकमा देकर भागने में कामयाब रहते हैं। लेकिन अब हर गली, मोहल्ले और उनसे जुडऩे वाले रास्ते कैमरे की नजर में रहेंगे तो अपराधी का बच निकलना आसान नहीं होगा।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए निगरानी की शुरुआत दक्षिण विधानसभा से हो रही है। यह कहा जा सकता है कि इससे इलाका नो क्राइम जोन बनेगा और लोगों में सुरक्षा का भाव रहेगा। इसके लिए करीब 550 बड़े कैमरे लगाए जाएंगे, जिस पर करीब 15 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
प्रवीण पाठक, विधायक दक्षिण विधानसभा
प्रोजेक्ट की शुरुआत दक्षिण इलाके से की जा रही है, इसके बाद दूसरे क्षेत्रों को भी इससे जोड़ा जाएगा। प्रोजेक्ट के तहत लगभग हर हिस्से को कैमरे की नजर में रखने से अपराध और यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कसावट रहेगी।
जयति सिंह, एसडीएम मुरार एवं प्रभारी पायलट प्रोजेक्ट