scriptबंजर भूमि पर किया पौधरोपण, आज 20 हजार पेड़ों से कॉलोनी को राहत | Plantation done on wastelands, today relief of colony from 20 thousand | Patrika News
ग्वालियर

बंजर भूमि पर किया पौधरोपण, आज 20 हजार पेड़ों से कॉलोनी को राहत

हमें अपनी धरा को बचाना है, तो प्रकृति को साथ लेकर चलना होगा। उसका दोहन करने के बजाए संरक्षण पर ध्यान रखना होगा। यह तभी संभव होगा, जब हम खुद अपने आप से पहल करेंगे और युवा पीढ़ी को जोड़ेंगे। शहर में कई पर्यावरण प्रेमी हैं, जिन्होंने प्रकृति को सहेजने के लिए प्रयास किए हैं।

ग्वालियरJun 05, 2020 / 12:36 am

Harish kushwah

बंजर भूमि पर किया पौधरोपण, आज 20 हजार पेड़ों से कॉलोनी को राहत

बंजर भूमि पर किया पौधरोपण, आज 20 हजार पेड़ों से कॉलोनी को राहत

ग्वालियर. हमें अपनी धरा को बचाना है, तो प्रकृति को साथ लेकर चलना होगा। उसका दोहन करने के बजाए संरक्षण पर ध्यान रखना होगा। यह तभी संभव होगा, जब हम खुद अपने आप से पहल करेंगे और युवा पीढ़ी को जोड़ेंगे। शहर में कई पर्यावरण प्रेमी हैं, जिन्होंने प्रकृति को सहेजने के लिए प्रयास किए हैं। आज वर्ल्ड एन्वॉयर्नमेंट डे है, जिसकी थीम ‘टाइम फॉर नेचर’ है। हम आपको ऐसे ही पर्यावरण प्रेमियों से परिचित करा रहे हैं। इनमें से एक एडीजी राजा बाबू सिंह भी हैं, जो मप्र के पहले आइपीएस हैं, जिन्होंने प्रकृति सहेजने के लिए बहुत काम किया।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रेरणा हैं राजा बाबू

एडीजी राजा बाबू सिंह ने पर्यावरण संरक्षण, वर्षा जल संचय, पौधरोपण, स्वाइल हेल्थ री जनरेटिव फॉर्मेट पर काम किया। साथ ही आंदोलन से लोगों को अवेयर भी किया। उन्होंने लास्ट ईयर एक लाख सीड बॉल्स बनवाकर पहाड़ी क्षेत्रों व शहर के थानों में डलवाए, जिनमें से लगभग 60 परसेंट प्लांट सुरक्षित हैं। उन्होंने बताया कि जुलाई में इसी मिशन का अगला भाग शुरू होगा, जो तीन माह चलेगा। इस बार फिर एक लाख पौधे का टारगेट रहेगा।
20 हजार पेड़ों पर 250 प्रजाति के पक्षियों का निवास

विवेकानंद नीडम को तैयार करने की शुरुआत 1995 में की गई। उस समय बंजर पहाड़ी पर कटीली झाड़ियां थीं। लोग पहाड़ी पर आने से डरते थे। उस समय पर्यावरण के साथ रहकर शांतिपूर्ण जीवन जीने की शुरुआत की और पौधे लगाने शुरू किए। आज यहां 20 हजार से अधिक पेड़ हैं। यहां कई प्रजातियों के 250 प्रजाति के पक्षी निवास करते हैं। ग्वालियर रत्न, मानव रत्न और प्रभात रत्न से अलंकृत अनिल सरोदे, पर्यावरण प्रेमी आज भी पेड़ों के लिए पूरा दिन लगा देते हैं। नीडम में गौशाला, गोबर गैस संयंत्र, बायो टायलेट्स आदि बने हुए हैं।
30 बीघा जमीन को किया हरा-भरा, टेम्प्रेचर भी हुआ कम

पर्यावरण प्रेमी बीआर राठौर ने बताया कि उन दिनों राज्य कर्मचारी कॉलोनी काटी गई। लोगों द्वारा पहाड़ी पर कब्जा किया जा रहा था। तभी मैंने पहाड़ी पर पौधे लगाने शुरू किए और 30 बीघा जमीन को हरा-भरा कर दिया। पिछले साल ही कुछ भाग में नगर निगम ने मल्टी बना दी। शेष 17 बीघा जमीन अभी भी हरी-भरी है। यहां कई प्रजाति के पशु-पक्षियों का बसेरा है। मैं रोज सुबह डीडी नगर से यहां आकर पेड़ों की देखभाल करता हूं। शहर से यहां का टेम्प्रेचर में काफी अंतर होता है। अब यह एक पार्क के रूप में डवलप हो चुका है, जहां लोग घूमने भी आते हैं।

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