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ग्वालियर

खामियों वाले 700 रिजल्ट देने वाली कंपनी के कारण परेशान हो रहे 20 हजार छात्र

छात्रों की लगातार अनदेखी से उपज रहा आक्रोश, आंदोलन से भी नहीं पड़ रहा फर्क

ग्वालियरOct 24, 2019 / 12:09 am

Dharmendra Trivedi

Resentment arising out of constant ignoring of students, movement is not making any difference

Resentment arising out of constant ignoring of students, movement is not making any difference

ग्वालियर। छात्रों के परीक्षा परिणाम सहित अन्य व्यवस्थाओं को हाईटैक करने के लिए जीवाजी विश्वविद्यालय ने नागपुर की माइक्रो प्रो कंपनी को 4 करोड़ रुपये कांट्रेक्ट दिया था। पिछली कंपनी से लगभग चार गुना ज्यादा राशि में कांट्रैक्ट हासिल करने वाली इस कंपनी ने अभी तक 700 से अधिक परिणाम जारी किए हैं और लगभग सभी परिणामों में त्रुटियां निकलकर सामने आई हैं। जेयू के अधिकारियों की अनदेखी और कंपनी के कर्मियों की लापरवाही के कारण 18 हजार 500 से अधिक छात्र विदहैल्ड हैं और 1500 से अधिक छात्रों की मार्कशीटों में किसी न किसी तरह की त्रुटि निकली है। हाल ही में संशोधित करके निकाले गए बीएससी सैकंड ईयर के रिजल्ट में 731 छात्रों को फेल कर दिया गया है, जिसकी वजह से अब छात्र हर दिन जेयू के चक्कर लगा रहे हैं। लगातार गलतियां और मनमाने तरीके से काम कर रही कंपनी को हटाने के लिए कार्यपरिषद, अधिकारी और छात्र नेता सभी बोल चुके हैं। विशेष कार्यपरिषद में हटाने का फैसला भी हो चुका है लेकिन अभी तक जिम्मेदार अधिकारी न तो कंपनी का विकल्प तलाश सके हैं और न ही रिकॉर्ड और डेटा हासिल कर सके हैं। अगर कहीं कंपनी पूरा डेटा लेकर चली गई तो जिस तरह पूर्व में कोलकाता की कंपनी की वजह से परेशानी हुई थी, उसी तरह की परेशानी फिर से पैदा हो सकती है।

ईसी की विशेष बैठक में चुका है हटाने का फैसला

19 सितंबर को विवि प्रशासनिक भवन के सभागार में जेयू की अध्ययनशालाओं के परीक्षा परिणामों को लेकर कार्यपरिषद की विशेष बैठक हुई थी। इस बैठक में बैठक में कुलसचिव डॉ.आइके मंसूरी, ईसी मेंबर डॉ.मनेन्द्र सोलंकी, अनूप अग्रवाल, वीरेंद्र गुर्जर के अलावा प्राध्यापक डॉ.अविनाश तिवारी, प्रो.आरपी पांडेय, प्रो.नीरज जैन, सुनीता बरहादिया, डॉ.मंजू दुबे, वित्त विभाग के संयुक्त संचालक योगेंद्र सक्सेना और उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ. एमआर कौशल शामिल हुए थे। सभी ने माना कि नागपुर की कंपनी द्वारा परीक्षा परिणाम जारी करने में देरी करने एवं रिजल्ट और मार्कशीट में तमाम गलतियां करने के कारण छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस दौरान यह भी तय हुआ था कि वर्तमान कंपनी को हटाकर नया कांट्रेक्ट देने से पहले विशेषज्ञों से टैंडर नोट बनवाया जाएगा।

इन बिंदुओं पर छात्र संगठन करते रहे हैं आंदोलन

-कंपनी ने एक भी मॉड्यूल में संतोषजनक काम नहीं किया है।
-अकादमिक सत्र संचालन में लगातार विलंब हुआ है, जिससे विवि की छवि धूमिल हुई है।
-जून में हुई कार्यपरिषद में भी नई कंपनी के लिए टेंडर की बात हुई थी, तब वर्तमान एजेंसी से सामंजस्य बैठाने के नाम पर टाल दिया गया और अब भी लगातार टालमटोल की जा रही है।
परीक्षा नियंत्रक जता चुके हैं आपत्ति
-परीक्षा नियंत्रक डॉ एसकेएस सेंगर ने रिजल्ट बनाने वाली एजेंसी को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी।
-पत्र में उल्लेख था कि विवि की स्नातक परीक्षायें अप्रैल में हो गई फिर भी परिणाम समय पर घोषित नहीं किये गए।
-जो परिणाम घोषित किए हैं,उनका टेबुलेशन चार्ट नहीं दिया गया है।
-50 हजार अंकसूचियां छात्रों को दी गई जिनमें त्रुटियों की भरमार है।

-छात्र लगातार सीएम हेल्पलाइन लगा रहे हैं, इससे विवि की बदनामी हो रही है।
-ऑनलाइन प्रदर्शित हो रहे परिणामों में छात्रों को अनुपस्थित या शून्य अंक दिए जा रहे हैं, इससे छात्रों को मानसिक तनाव हो रहा है।
यह बोले छात्र नेता
-कंपनी ने छात्रहित में काम नहीं किया है और एबीवीपी लगातार आंदोलन कर रही है, जेयू के अधिकारियों को अनियमितताओं की जानकारी है, इसके बाद भी छात्रों के भविष्य को ताक पर रख कंपनी को शह दी जा रही है।
गौरव मिश्रा, छात्र सेवा प्रमुख-अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद


-कंपनी की लापरवाही और मनमानी के खिलाफ हम लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों के साथ हो रही नाइंसाफी को लेकर भोपाल तक पदयात्रा करके वरिष्ठों को अवगत कराया है। इसके बावजूद विवि प्रबंधन की कृपा से नागपुर की कंपनी से ही काम कराया जा रहा है।
यह बोले ईसी मैंबर
नागपुर की माइक्रो प्रो कंपनी बीते आठ महीने से काम कर रही है। इसे 22 बिंदुओं के आधार पर काम करना था, लेकिन एक भी काम सही नहीं कर पाई। मार्कशीट गलत आईं, प्रिंट गलत आए और अभी स्थिति गंभीर है।
डॉ.मनेन्द्र सिंह सोलंकी, सदस्य कार्यपरिषद


यह बोले जिम्मेदार

-सभी पैंडिंग रिजल्ट, त्रुटियां आदि को लेकर काम जारी है, जल्द ही सभी काम पूरे हो जाएंगे। ईसी की विशेष बैठक में एकमत से निर्णय हुआ था कि एजेंसी का काम संतोषजनक नहीं है। अब जब भी टैंडर होगा, अध्यादेश की टर्म एंड कंडीशन के हिसाब से काम कराया जाएगा।
डॉ.आइके मंसूरी, कुलसचिव

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