mp.patrika.com आपको बता रहा है राफेल उड़ाने में माहिर देश के नए सेना प्रमुख के बारे में जानिए कैसी है उनकी लाइफ स्टाइल..। क्या कहते हैं उनके परिजन…।
बहतरीन पायलटों में से एक हैं भदौरिया
देश के नए सेना प्रमुख के रूप में राकेश कुमार सिंह भदौरिया ( Rakesh Kumar Singh Bhadauria ) 30 सितंबर को पद ग्रहण करेंगे। वे बीरेंद्र सिंह धनोआ के सेवानिवृत्त होने पर पद ग्रहण करेंगे। भदौरिया के बारे में बताया जाता है कि वे देश के बहतरीन पायलटों में से एक हैं। उन्होंने अब तक 26 प्रकार के लड़ाकू और परिवहन विमानों को उड़ाया है। इसमें राफेल भी शामिल है। वे राफेल लड़ाकू विमान खरीद टीम के चेयरमैन भी रहे हैं।
ग्वालियर के वायु नगर में है घर
वायुसेना के नए प्रमुख बनने जा रहे ग्वालियर के राकेश कुमार सिंह भदौरिया का जीवन बहुत ही सरल और अनुशासित रहा है। उनका पैतृक गांव आगरा की बाह तहसील में है और घर ग्वालियर में। उनके पिता पूर्व वायुसेना अधिकारी एसपी सिंह भदौरिया और माता विद्या देवी इस समय ग्वालियर-भिंड रोड स्थित वायु नगर कॉलोनी में रहते हैं। आगरा की बाह तहसील के कोरथ गांव के रहने वाले एसपी सिंह भदौरिया भारतीय वायु सेना में सीनियर नॉन-कमीशंड अधिकारी थे। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। बड़े बेटे राकेश कुमार सिंह और छोटे बेटे राजीव कुमार सिंह।
बड़े बेटे राकेश कुमार सिंह को वायुसेना में जाने का जुनून था। चंडीगढ़ में 12वीं पास करने के बाद राकेश एनडीए में सिलेक्ट हुए और वर्ष 1980 में उन्होंने भारतीय वायुसेना को फ्लाइट लेफ्टिनेंट के रूप में ज्वाइन कर लिया। उन्हें जगुआर लड़ाकू विमान उड़ाने का भी मौक दिया गया।
विश्वास था बेटा जरूर बनेगा चीफ
राकेश सिंह भदौरिया के माता-पिता कहते हैं कि उन्हें पूरा विश्वास था कि एक दिन राकेश वायुसेना प्रमुख बनेंगे और उनका यह विश्वास तब पूरा हो गया, जब रिटायरमेंट होने जा रहे सामान पैक कर चुके थे। सिर्फ राष्ट्रपति से मुलाकात बाकी थी। गुरुवार दोपहर तक यह नहीं मालूम था कि आरकेएस भदौरिया को चीफ ऑफ द एयर स्टाफ बनाने का निर्णय ले लिया गया है।
आशा से हुआ विवाह
1980 के दशक में उनके पिता आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात थे। वे शहर के भोगीपुरा इलाके में रहते थे। कांग्रेस असेम्बली का चुनाव लड़ चुकीं सुशीला चौहान एक समाजसेवी थी। उनकी बेटी आशा चौहान सिंह से राकेश का विवाह हो गया। उनकी पत्नी आशा ने आगरा कॉलेज से एमए इंग्लिश में टॉप किया था। दिलचस्प बात यह है कि आगरा कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ. मुख्तार सिंह और आगरा विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ. वीके सिंह चौहान ने आशा के परिजनों को फ्लाइट लेफ्टिनेंट आरकेएस भदौरिया का रिश्ता सुझाया था। वर्ष 1986 वे परिणय सूत्र में बंध गए।
बेटा और बेटी भी हैं पायलट
आरकेएस भदौरिया के दोनों बच्चे पायलट हैं। बेटा सौरभ सिंह भदौरिया इंडिगो एयरलाइन्स में पायलट है और बेटी सोनाली सिंह फिलीपींस में पायलट है। वे बताते हैं कि पापा बेहद अनुशासन प्रिय हैं और वे एक काफी सरल व्यक्ति भी हैं।
जमीन को नहीं भूलते
कोरथ गांव के प्रधान प्रदीप सिंह भदौरिया मुन्ना भी बताते हैं कि आरकेएस भदौरिया बहुत सरल स्वभाव के व्यक्ति हैं। काफी समय पहले एक बार जब वे गांव आए तो बुजुर्ग महिला ने अपने पास बैठने को कहा। इस गरीब महिला के पास इतने बड़े अफसर को बैठाने के लिए कुर्सी तक नहीं थी। वह झेंप रही थी कि कहां बैठाए, लेकिन तब तक वे पास पड़े टिन के खाली डिब्बे को ही खींचकर बैठ गए।
प्लेन उड़ाने का था बचपन से शौक
उनके रिश्तेदार राकेश चौहान व राजीव चौहान बताते हैं कि आरकेएस भदौरिया को सबसे बड़ा शौक प्लेन का है। उन्होंने नौकरी के दौरान बहुत कम ही छुट्टी ली होगी। सरकार पर उनकी बहुत-सी छुट्टियां शेष हैं। आगरा में रहने वाले उनके रिश्तेदार राकेश सिंह बताते हैं कि एयर मार्शल भदौरिया जब भी आते हैं तो उन्हें तरह-तरह के ट्रेडिशनल फूड खाना जरूर खाते हैं। पूर्व मंत्री राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह व बाह विधायक रानी पक्षालिका सिंह का कहना है कि राकेश कुमार सिंह भदौरिया से उनके पारिवारिक रिश्ते हैं।
कलाम और अटल के थे करीबी
रिश्तेदार बताते हैं कि अपनी कार्यशैली और लगनशीलता के चलते ही आरकेएस भदौरिया पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बहुत निकट रहे थे। गांव वाले बताते हैं कि उनके चाचा संतोष सिंह एयरफोर्स, अरविंद सिंह सेना में सूबेदार, और देशपति सिंह रेलवे में सेवारत थे।
वीर भूमि है भदावर
मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान का सीमाएं भदावर क्षेत्र से मिलती हैं। दुर्गम बीहड़ों से भरा यह क्षेत्र चंबल, यमुना और उटंगन नदियोंसे घिरा हुआ है। यह क्षेत्र देश पर जान न्योछावर करने वाले वीरों के लिए जाना जाता रहा है। रुदमुली, कोरथ, सिमराई, जैतपुर, धमना से लेकर उदी मोड़ तक भदौरिया राजपूत बहुल गांवों में घर-घर से जवान सेना और पुलिस की सेवा में जाते हैं।
-रुदमुली के ब्रिगेडियर रणवीर सिंह भदौरिया ने वर्ष 1965 में जम्मू-कश्मीर में पाक सेना को खदेड़कर भारत की जमीन दोबारा कब्जे में ले लिया था। उनके शौर्य को याद करने के लिए वहां आरएस पुरा सेक्टर बसाया गया।
-ब्रिगेडियर रणवीर सिंह ने 1962 में चीन की लड़ाई में भी दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे।
-रुदमुली के पूर्व सैनिक हनुमंत सिंह भदौरिया ने भी चीन के युद्ध में शौर्य का प्रदर्शन किया।
-निजाम हैदराबाद मीर लायक अली को बंदी बनाने धमना के दिग्विजय सिंह भदौरिया को तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने पुलिस के सर्वोच्च सम्मान प्रेसिडेंट पुलिस गैलेंट्री मेडल से सम्मानित किया था।