बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉ. सतीश सोनी के अनुसार इस बार शनि जयंती और सोमवती अमावस्या के महासंयोग के साथ दो खास योग भी बन रहे हैं। इस दिन सुकर्मा और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। इस दिन लोगों को देव आराधना तथा पवित्र नदियों में स्नान करने से समस्त कार्यों में सफलता मिलती है। सर्वार्थ सिद्धि योग 30 मई को सुबह 7.12 से शुरू होकर 31 मई को प्रात: 5.24 तक रहेगा।
वहीं सुकर्मा योग भी प्रात:काल से लेकर रात 11.39 तक रहेगा। यह दोनों योग शुभ एवं मांगलिक कार्यों के लिए भी अच्छे माने जाते हैं। अमावस्या तिथि का प्रारंभ 29 मई रविवार को दोपहर 2.54 से प्रारंभ होकर 30 मई सोमवार की शाम 4.59 पर तक रहेगी।
शनि जयंती पर इन राशियों को मिलेगी राहत
मौजूदा समय में मकर, कुंभ, मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। इसके साथ ही कर्क, वृश्चिक पर भी शनि की ढैया चल रही है। ऐसे में शनि दोष से पीड़ित इन राशियों के जातकों को शनि जयंती के दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए। किसी निर्धन, अंधे, लंगड़े व्यक्ति को भोजन देना चाहिए। शनि देव को नीले फूल समर्पित करना चाहिए। इन ज्योतिषीय उपायों से शनिदेव प्रसन्न होंगे और इन राशि वालों को राहत मिलेगी।
सोमवती अमावस्या का दिन शिव-पार्वती को समर्पित होता है
धार्मिक दृष्टिकोण से प्रत्येक अमावस्या का अपना महत्व होता है। लेकिन सोमवती के दिन पढ़ने वाली अमावस्या अपना विशेष महत्व रखती है। क्योंकि इसे सोमवती अमावस्या की संज्ञा दी जाती है। इस दिन पूजन व्रत करने से और पितरों के निमित्त जल देने से पुण्यों की प्राप्ति होती है। सोमवार का दिन भगवान शिव और माता पार्वती के लिए समर्पित होता है। वही इस दिन विधि विधान से पूजा करने से तथा व्रत करने से सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है। इस दिन सुहागन स्त्रियां पति की लंबी आयु के लिए बट सावित्री व्रत करती हैं। वहीं पुरुष वर्ग सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष का पूजन करते हुए अपने पितरों को जल देकर उन्हें तृप्त करते हैं। इस दिन यदि संभव हो तो सोमवती अमावस्या के दिन पीपल का एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए। ऐसा करने से पितृ देव प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
शनि जयंती और सोमवती अमावस्या के शुभ मुहूर्त