ऐसे में हम आपको गौरी सरोवर के किनारे त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर के बारे में बता रहे है। यहां श्रद्धा भाव से आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हंै। मान्यता है कि महादेव के नियमित दर्शन करने से बाधाएं दूर हो जाती है। महादेव की स्थापना करीब 450 साल पहले भदावर राजाओं ने कराई थी। 50 साल पूर्व तक यहां पर बड़ी संख्या में भक्तगण दर्शन करने आते रहे। लेकिन फिर अव्यवस्थाओं के चलते मंदिर अनदेखी का शिकार हो गया।
ढाई साल पहले बिहारी गु्रप ऑफ स्कूल्स के संचालक राजेश शर्मा ने पार्क बनाने के साथ मंदिर काभी जीर्णोद्वार करा दिया। यहां स्थान वर्तमान में बड़ा रमणीक हो गया है। दोनों ओर बिहारी गु्रप की ओर से पार्क बनाए गए हैं। किनारों पर लाल पत्थर लगा है। पार्क में सजावट और फूलों के विदेशी पौधे सैलानियों को खींच लेते हैं। शाम को डमरू की धुन के साथ होने वाली आरती में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। भक्तों का मानना है कि भोलेनाथ हर आदमी की झोली भरते हैं। सोमवार को यहां पर बड़ी ंसख्या में लोग प्रसाद चढ़ाने के लिए आते है। यह मंदिर भदावर राजाओं कीओर से स्थापित एक सैकड़ा मंदिरो में से ही एक है।
मां गौरी की स्थापना से धार्मिक हुआ स्थान
जिले का यही एक ऐसा मंदिर है जहां पर शिवलिंग से थोड़ी ही दूरी पर मां गौरी की प्रतिमा की स्थापना कराई गई है। इससे भगवान के दर्शन करने आने वाले भक्तों की संख्या और बढ़ गई है। बिहारी ग्रुप के संचालक राजेश शर्मा ने बताया कि भिण्ड की पहचान गौरीसरोवर सेे है। यहां पर शिवलिंग की स्थापना तो है लेकिन मां गौरी का कोई मंदिर नहीं था। भक्तों की इच्छा के आधार पर मंदिर के पास ही गौरी की स्थापना कराई गई है।