पूरा जीवन बच्चों को पढ़ाया, मरने के बाद देहदान कर दिया ताकि छात्र सीख सकें चिकित्सा की बारीकियां
जीआरएमसी के एनाटॉमी विभाग में रिटायर प्राचार्य की बॉडी आई
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पूरा जीवन बच्चों को पढ़ाया, मरने के बाद देहदान कर दिया ताकि छात्र सीख सकें चिकित्सा की बारीकियां
ग्वालियर. जीवन भर बच्चों को शिक्षा देकर उनका भविष्य उज्ज्वल बनाया। कॉलेज में प्राचार्य पद पर रहकर हमेशा मदद की। अब मौत के बाद अपनी बॉडी भी बच्चों की पढ़ाई के लिए दान में दे दी । यह मिसाल एमएलबी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य और जूलोजी के प्रोफेसर डॉ हरिहर सहाय श्रीवास्तव ने पेश की है। 72 वर्षीय डॉ श्रीवास्तव ने नौकरी में रहते हुए बच्चों की शिक्षा के बारे में हमेशा सोचा। रिटायर होने के बाद भारत विकास परिषद से जुडकऱ समाज सेवा के कार्यो मेें बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। परिवार में दो बच्चियां है। मंगलवार को उनके निधन के बाद परिवारजन उनकी बॉडी को जीआरएमसी के एनाटॉनी विभाग में लेकर पहुंचे। जहां उनकी बॉडी को दान किया। अब उनकी बॉडी मेडिकल छात्रों के काम आएगी। इस अवसर पर पूर्व सीएमएचओ डॉ एसके श्रीवास्तव, डॉ.अखिलेश त्रिवेदी, डॉ.मनीष चतुर्वेदी, डॉ अनिल सत्या आदि उपस्थित थे।
हार्ट अटैक के बाद बिगड़ गई थी हालत
डॉ श्रीवास्तव को 16 जनवरी को हार्ट अटैक आया। उसके बाद से ही लगातार उनकी हालत बिगड़ती गई। तभी उन्होंने अपनी बॉडी अपने परिजनों से दान देने के लिए कहा था। उसी का पालन करते हुए परिजन मंगलवार को बॉडी जीआरएमसी में लेकर आए।
39 वी बॉडी मिली विभाग को
जीआरएमसी में वर्ष 2000 में एनाटॉमी विभाग द्वारा देहदान की प्रक्रिया शुरू की थी। उसके बाद से लगातार कई बॉडी यहां पर आ रही है। इसके चलते अभी तक विभाग को 39 बॉडी मिल चुकी है। वहीं पिछले वर्ष तीन बॉडी मिली थी। अब यहां पर 10 बॉडी छात्रों के अध्ययन के लिए हो गई है।
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