ग्वालियर जिले की बात करें तो कोरोना की तीसरी लहर की शुरुआत जनवरी से मानी जा रही थी। ग्वालियर में भी जनवरी में कोरोना की मरीजों की संख्या में दिन दुगनी रात चौगुनी संख्या बढ़ती जा रही थी। एक जनवरी तक जहां कोरोना के मरीज ग्वालियर में एक या दो निकल रहे थे वहीं 1 जनवरी को कोरोना के मरीज बढऩा शुरू हो गए और मरीजों की संख्या 6 हो गई। वहीं 15 जनवरी से सबसे अधिक 756 मरीज आए थे। इसके बाद लगातार तीन दिन मरीज कम निकल रहे हैं। 16 जनवरी को 600, 17 जनवरी को 584 मरीज सामने आए।
इनके जरिए काबू पाने की हो रही कोशिश इंसीडेंट कमांडर
-41 इंसीडेंंट कमांडर बनाए गए हैं। नगर निगम सीमा में पहले की तरह 25 आईसी को कमान दी गई है। यह अधिकारी वास्तविकता में काम करने की बजाय औपचारिकता पूरी करने पर ही ध्यान दे रहे हैं।
-तीसरी लहर की शुरुआत के साथ ही कंट्रोल कमांड सेंटर पर दवा, सहायता, एंबुलेंस, चिकित्सकीय परामर्श के लिए हेल्पलाइन शुरू की गई हैं। इसके साथ ही कोविड से संबंधित प्रत्येक जानकारी हासिल करने के लिए गूगल पर लिंक भी दी गई है। इसके डैशबोर्ड पर प्रतिदिन की स्थिति दिख रही है। कमांड सेंटर पर बीते 16 दिन में 4500 कॉल आ चुके हैं।
-एक दिन में 756 मरीज निकलने के बाद भी सबसे Óयादा ढिलाई सर्वे और कंटेनमेंट जोन बनाने में ही बरती जा रही है। मरीजों की कांटेक्ट हिस्ट्री निकालने में भी लापरवाही बरती जा रही है।
-संक्रमण की गति 15 फीसदी से अधिक होने के बाद भी बाजारों में सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर गंभीरता से कार्रवाई नहीं हुई है। कोरोना गाइडलाइन का पालन कराने के नाम पर 14 लाख से अधिक आबादी वाले शहर में बमुश्किल 600 चालान किए जा रहे हैं। लोग खुले में बगैर मास्क के घूम रहे हैं, बाजारों में भीड़ अनियंत्रित है, लेकिन अधिकारी इस ओर बिलकुल ध्यान नहीं दे रहे हैं।