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दूसरे शहरों से अरेंज करना पड़ा ब्लड
संक्रमण काल में रक्तदाता को कोरोना का डर था। इस दौरान कोई कैंप भी नहीं हुए। इस कारण हर माह 600 से 800 यूनिट की कमी शहर में देखी गई। यह परेशानी पिछले साल से अभी तक निरंतर बनी हुई है। इस दौरान खून की कमी के कारण कई कैस भी बिगड़े, तो कई मरीजों को दूसरे शहर से ब्लड भी अरेंज करना पड़ा।
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हर 21 दिन में होती है जरूरत
जेएएच में 230 थैलेसीमिया मरीज रजिस्टर्ड हैं, जिन्हें हर 21 दिन में ब्लड की जरूरत होती है। इसी प्रकार काफी संख्या में किडनी और कैंसर के मरीज भी हैं, केवल कैंसर हॉस्पिटल से ही मरीजों की काफी डिमांड रहती है, जहां देशभर से मरीज आते हैं। इसके अलावा दुर्घटना में घायल लोगों को भी ब्लड की जरूरत होती है।
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संक्रमण काल में रक्तदाता कम हो गए
ब्लड बैंक जेएएच प्रभारी, अरुण जैन ने बताया कि शहर में अच्छे हॉस्पिटल हैं, जिस कारण यहां आसपास के प्रदेशों से भी मरीज आते हैं। इसलिए यहां ब्लड की जरूरत काफी है। पूरे शहर की बात की जाए तो हर माह लगभग 400 यूनिट ब्लड की जरूरत है, जबकि इतनी संख्या में रक्तदाता नहीं हैं। संक्रमण काल में तो रक्तदाता काफी कम हो गए।
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ब्लड डोनेट के आंकड़े
माह | यूनिट |
फरवरी | 1884 |
मार्च | 1970 |
अप्रेल | 1307 |
मई | 1400 |
नोट: ये आकड़े जेएएच ब्लड बैंक के ब्लड कलेक्शन के हैं।