आप इंद्रियों के नहीं, इंद्रियां आपके वश में हों
– कुंज बिहार में श्रीमद्भागवत कथा में बोले कौशिक महाराज
आप इंद्रियों के नहीं, इंद्रियां आपके वश में हों
ग्वालियर. बिल्ली की उम्र 7 साल, चीटीं की 9, कुत्ते की 12, घोड़े की 20 और कछुए की उम्र 1500 वर्ष होती है, क्योंकि वह अपनी इंद्रियों पर संयम रखता है। जब भी उसे असुरक्षा महसूस होती है, वह अपनी सभी इंद्रियों को संकुचित कर लेता है। जो व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर संयम नहीं रख सकता, वो एकाग्रचित्त कभी नहीं हो सकता है, इसलिए आप इंद्रियों के नहीं, इंद्रियां आपके वश मेें हो। यह विचार कुंज बिहार में आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान शनिवार को कौशिक महाराज ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि जो इंद्रियों के गुलाम हैं उनके घर राक्षस और जिनके वश में इंद्रियां होती हैं उनके घर भगवान पैदा होते हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं से आव्हान किया कि वे अपने बच्चों को कथा में लेकर जरूर आएं, क्योंकि जो बच्चा धर्म से जुड़ेगा, वो कभी गलत रास्ते पर नहीं जा सकता है। जिसके पास बैठने से भगवान दिखाई दे, वो संत हैं और जिसके पास बैठने से संसार दिखाई दे, वो संत नहीं हो सकता है। विद्यार्थियों के पांच लक्षण बताते हुए उन्होंने कहा कि पढऩे वाले बच्चों की दृष्टि कौआ जैसी, ध्यान बगुले जैसा, नींद श्वान जैसी हो। वो अल्पहारी और घर से मतलब नहीं रखने वाला हो, ऐसा बच्चा शिक्षा में अपने लक्ष्य को जरूर हासिल कर लेगा। उन्होंने पालकों से कहा कि बच्चे की पढ़ाई से ज्यादा इस बात की चिंता करें कि उसके मित्र कैसे हैं। जिस बच्चे के मित्र अच्छे होंगे वो बच्चे पढ़ाई में कभी पिछड़ ही नहीं सकता है। उन्होंने कहा कि स्कूल में बच्चा यदि डांट खा कर भी आए तो बच्चे की तरफदारी न करें, क्योंकि गुरूजन बच्चे की भलाई के लिए ही कभी-कभी डांट देते हैं जिस तरह कुंभकार बाहर से ठोकर भीतर से सहारा देता है।
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