जानकारी के अनुसार बैंक का चालान जमा करवाकर ही देसी व कंपोजिट दुकानें के लिए मदिरा का उठाव किया जाता है। वित्तीय वर्ष 2018-19 के दस्तावेजों की जांच करने के बाद भादरा के एसबीआई बैंक के अलावा अब चालान पर रावतसर के पीएनबी बैंक की फर्जी मुहर होना पाया गया है। इसके अलावा कई चालान जमा किए बगैर ही मदिरा उठाव के लिए परमिट जारी होना भी जांच में सामने आया है। यह पूरा गबन एक करोड़ रुपए के करीब होना बताया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के दस्तावेज की जांच में बैंक के 45 चालान फर्जी पाए गए थे। अब भादरा के एसबीआई बैंक के तीन व रावतसर के पीएनबी बैंक के भी तीन चालान रिकार्ड में फर्जी मिले हैं।
टाउन के जिला आबकारी कार्यालय में एक करोड़ गबन के मामले की जांच पांच अक्टूबर से चल रही है। इस जांच के चलते 60 दिन हो चुके हैं। लेकिन अभी तक विभाग की ओर से गबन में लिप्तों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। सूत्रों की माने तो कार्रवाई के लिए हनुमानगढ़ कार्यालय उदयपुर मुख्यालय के पत्र का इंतजार कर रहा है। अभी तक इस मामले में चार अक्टूबर को एक लिपिक को ही निलंबत किया था।
वर्तमान वित्तीय वर्ष की चार अप्रेल से लेकर सितंबर के पहले सप्ताह तक हुए गबन के मामले में विभाग के अधिकारियों ने ठेकेदारों पर मुकदमा दर्ज कराने व 26 प्रतिशत धरोहर राशि को जब्त करने की चेतावनी देकर एक करोड़ की रिकवरी कर चुके हैं। लेकिन वित्तीय वर्ष 2018-19 में भी एक करोड़ के गबन की रिकवरी करना विभाग के लिए नामुमकिन हैं। मार्च में मदिरा दुकानों की पुन: लॉटरी होने पर पुराने ठेकेदार अपनी धरोहर राशि भी वापस ले चुके हैं।
दरअसल शराब ठेकेदारों को गोदाम से मदिरा लेने के लिए राशि बैंक में जमा करवानी होती है। इसके लिए ईमित्र से तीन चालान निकलवाने पड़ते हैं। चालान की राशि संंबंधित पांच या छह बैंकों में से एक में जमा करवानी होती है। एक चालान की कॉपी बैंक के पास रहती है और दो चालान की कॉपी ठेकेदार को दी जाती हैं। इसमें से एक कॉपी ठेकेदार खुद के पास रखता है और दूसरी चालान की कॉपी मदिरा उठाने के लिए विभाग के संबंधित कार्यालय में जमा करवाई जाती है। इसके बाद ही आबकारी निरीक्षक की ओर से मदिरा के उठाव के लिए परमिट जारी किया जाता है। लेकिन आबकारी विभाग की ईग्रास साइट पर लिपिक की ओर से फर्जी चालान का नंबर डालकर परमिट जारी किए जा रहे थे। इस गबन के बाद उदयपुर मुख्यालय के नियमों में बदलाव कर दिया है। अब ईग्रास पर चालान जमा होने की पुष्टि व बैंक में जमा हुई राशि का मिलान होने पर ही परमिट जारी किया जा रहा है। इसके अलावा हनुमानगढ़ के जिला आबकारी कार्यालय में प्रत्येक माह में इंटरनल ऑडिट भी करवाई जाने लगी है।
वित्तीय वर्ष 2019-20 में एक करोड़ के गबन के बाद अब वित्तीय वर्ष 2018-19 में गबन होना पाया गया है। गबन का खेल कब से चल रहा है। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 के भी रिकार्ड की जांच की जा रही है। 2018-19 में हुए गबन की भी वसूली की जाएगी। इस प्रकरण में शामिल अधिकारी से लेकर कर्मचारी को चार्ज शीट जारी की जा रही है। फर्जी चालान जमा करवाने वाले ठेकादार व चालान जमा करने वाले बाबू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए जा चुके हैं। गबन फिर से न हो इसके लिए ईग्रास की साइट में बदलाव किया जा चुका है। अब परमिट जारी करने से पहले बैंक में राशि जमा हुई या नहीं, इसकी पुष्टि करना भी अनिवार्य किया गया है।
गिरीश कछारा, वित्तीय सलाहकार, आबकारी विभाग, उदयपुर