
दिनेशकुमार स्वामी/हनुमानगढ़. जिले के सिंचाई आधारित और धोरों वाले नोहर-भादरा दो विधानसभा क्षेत्रों में गांव-गांव मुद्दों की पड़ताल के बाद अब पीलीबंगा की तरफ रुख किया। सड़क मार्ग पर आगे बढ़े और रावतसर के नजदीक सड़क के दोनों तरफ दूर तक फैले पानी से उठती दुर्गंध से पांव ठिठक गए। सेम के शोरायुक्त पानी के बीच सूखे ठूंठ नजर आ रहे हैं। जो सेम से हरियाली की बर्बादी का दर्द बयां करने के लिए काफी है। रावतसर के राकेश जोशी बोले, क्षेत्र की सबसे बड़ी सेम समस्या की यह तो महज बानगी है। करीब 35 हजार हेक्टेयर भूमि को सेम लील चुका है। सरकार ने कच्चे सेम नाले बनवाए, जो सार-संभाल के अभाव में कारगर साबित नहीं हो रहे।
रावतसर-हनुमानगढ़ मार्ग पर सेम नाला पुल पार करने पर भैरूंसरी गांव के किसान प्रभुदयाल स्वामी मिले। बोले-सेम नाला में शिफ्ट करने के लिए पम्पसेट लगाए, लेकिन सरकार डीजल नहीं देती। ऐसे में वह बंद पड़े हैं। पीलीबंगा के रावतसर से हनुमानगढ़ के बड़ोपल तक करीब तीस किलोमीटर लम्बे और दस किलोमीटर चौड़े क्षेत्र के किसान सेम की समस्या के कारण बर्बाद हो गए हैं। आगे बढ़े तो रावतसर अनाज मंडी में गेहूं-धान की ढेरियों ने एहसास करवा दिया कि इलाका धान का कटोरा है। यहां मिले रामप्रताप चोटिया बोले, हनुमानगढ़ जिले में सबसे अच्छी क्वालिटी के चावल और गेहूं का उत्पादन होता है। किसान चाहते हैं कि पांच दशक पुराने आईजीएनपी और भाखड़ा नहर परियोजना के खालों का पुनर्निर्माण करवाया जाए, लेकिन कोई नहीं सुन रहा। तभी पास खड़े रामेश्वर लाल ने कहा-पंजाब से नहरी पानी के साथ आ रहे सीवरेज और रसायनिक अपशिष्ट ने इलाके को कैंसर की चपेट में ला दिया है। अब इंदिरा गांधी नहर 11 जिलों को पेयजल दे रही है। सरकार प्रदूषण रोकने में जितनी देर करेगी, कैंसर का फैलाव उतना ही बढ़ता जाएगा। इसी के साथ हरियाणा-पंजाब के रास्ते पहुंच रहा नशा युवाओं को खोखला कर रहा है। इससे अपराध भी बढ़ रहे हैं।
योजनाएं अच्छी, राहत का रास्ता जटिल
कम्प्यूटर सेंटर संचालक हसन रजा ने प्रदेश सरकार की सामाजिक सुरक्षा और राहत योजनाओं को अच्छा बताया। बोले, राहत शिविरों में जनता पहुंच रही है, लेकिन राहत देने का रास्ता सरकार ने बेवजह जटिल बना दिया है। जन आधार में राशन, पेंशन, गैस कनेक्शन के डेटा अपडेट हैं। केवल बिजली, जॉब कार्ड आदि दो-तीन डेटा इससे लिंक नहीं है। जिसे नॉर्मल किसी भी ई-मित्र से लोग अपडेट करवा सकते हैं।
धरती उगलती सोना... चेहरे पर चमक नहीं
हनुमानगढ़ टाउन के आस-पास नाली बेल्ट की उपजाऊ भूमि चावल और कपास की फसल के रूप में सोना उगलती है। फिर भी यहां किसानों के चेहरे पर चमक नहीं दिखी। बरसाती नदी घग्घर के बहाव क्षेत्र में करीब 38 हजार हेक्टेयर भूमि पर एक लाख किसान चावल की खेती से जुड़े हैं। भद्रकाली मंदिर के पास मिले अमरपुरा थेड़ी के भगवान सिंह कुड़ी से मुलाकात हुई तो उनका दर्द जुबां पर आ गया। बोले- वर्षों से इसे राइस बेल्ट घोषित करने की मांग कर रहे हैं। ऐसा हो जाए तो किसानों को सिंचाई के लिए बिजली मिलने लगेगी।
शिक्षा में बढ़े कदम, रुके प्रोजेक्ट ने पीछे धकेला
हनुमानगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता तरुण विजय ने बताया कि कुछ समय पहले ही यहां राजकीय कन्या महाविद्यालय, एग्रीकल्चर कॉलेज और मेडिकल कॉलेज मंजूर हुए। इसे लेकर लोगों में खुशी है। वे कन्या महाविद्यालय के लिए चल रहे निर्माण के पास ही जलदाय विभाग की ओर से हनुमानगढ़ टाउन और जंक्शन को पेयजल आपूर्ति के लिए पांच साल पहले खोद कर छोड़ी डिग्गियों को दिखाने ले गए। कहा, पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय 281 करोड़ स्वीकृत हुए, लेकिन सरकार बदलने के बाद यह काम ठप हो गया।
बंद पड़ी स्पिनिंग मिल बड़ा मुद्दा
हनुमानगढ़ में छह-सात साल से बंद पड़ी स्पिनिंग मिल के गेट पर पहुंचे तो इसके पूर्व कार्मिक दरियासिंह मिल गए। उन्होंने बताया कि 2016 तक मिल में धागा बनता था, इसे बंद करने से एक हजार लोगों के प्रत्यक्ष रोजगार और दस हजार लोगों के कारोबार पर असर पड़ा है। हालांकि मुख्यमंत्री ने कुछ दिन पहले ही इसे दोबारा शुरू करने की घोषणा की है।
Updated on:
15 May 2023 07:57 am
Published on:
15 May 2023 07:54 am
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