दरअसल शराब ठेकेदारों को गोदाम से मदिरा लेने के लिए राशि बैंक में जमा करवानी होती है। इसके लिए ईमित्र से तीन चालान निकलवाने पड़ते हैं। चालान की राशि संंबंधित पांच या छह बैंकों में से एक में जमा करवानी होती है। एक चालान की कॉपी बैंक के पास रहती है और दो चालान की कॉपी ठेकेदार को दी जाती हैं। इसमें से एक कॉपी ठेकेदार खुद के पास रखता है और दूसरी चालान की कॉपी मदिरा उठाने के लिए विभाग के संबंधित कार्यालय में जमा करवाई जाती है। इसके बाद ही आबकारी निरीक्षक की ओर से मदिरा के उठाव के लिए परमिट जारी किया जाता है। लेकिन आबकारी विभाग की ईग्रास साइट पर फर्जी चालान नंबर डालकर परमिट जारी किए जा रहे थे। इस गबन के बाद उदयपुर मुख्यालय ईग्रास साइट में बदलाव कर दिया है। अब ईग्रास पर चालान जमा होने की पुष्टि व बैंक में जमा हुई राशि का मिलान होने पर ही परमिट जारी किया जा रहा है।
अतिरिक्त आयुक्त बीकानेर से तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार करने के आदेश मिले हैं। इसमें अधिकारी व कर्मचारी की रिपोर्ट तैयार कर भेजी जाएगी। इसी जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जानी है, उसकी की भी एक रिपोर्ट अलग से तैयार की जा रही है।
संदीप कुमार पटावरी, जिला आबकारी अधिकारी, हनुमानगढ़