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हनुमानगढ़

गीत-गजल से महिलाओं की महिमा और बेटियों का दर्द बयां

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हनुमानगढ़. राजस्थान पत्रिका स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम शृंखला के तहत सोमवार को महिला दिवस पर काव्य गोष्ठी हुई। अबोहर बायपास स्थित बेबी हैप्पी मॉडर्न पीजी कॉलेज में आयोजित गोष्ठी में शायर प्रेमी भटनेरी एवं सुरेन्द्र सत्यम ने रचनाएं पढ़ी।

हनुमानगढ़Mar 08, 2021 / 10:21 pm

adrish khan

गीत-गजल से महिलाओं की महिमा और बेटियों का दर्द बयां

गीत-गजल से महिलाओं की महिमा और बेटियों का दर्द बयां

गीत-गजल से महिलाओं की महिमा और बेटियों का दर्द बयां
– स्थापना दिवस कार्यक्रम शृंखला के तहत आयोजन
हनुमानगढ़. राजस्थान पत्रिका स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम शृंखला के तहत सोमवार को महिला दिवस पर काव्य गोष्ठी हुई। अबोहर बायपास स्थित बेबी हैप्पी मॉडर्न पीजी कॉलेज में आयोजित गोष्ठी में शायर प्रेमी भटनेरी एवं सुरेन्द्र सत्यम ने रचनाएं पढ़ी। सुरेन्द्र सत्यम ने भ्रूण हत्या एवं दहज जैसी बुराई को गीत के जरिए सशक्त ढंग से पेश किया। प्रेम भटनेरी ने आंगन की चिरैया बेटियों को आकाश नापने और अपने फैसले खुद कर कड़ी मेहनत से सफलता हासिल करने की सीख दी। अदरीस रसहीन ने ‘तेरी जंग आसान नहीं, मुश्किल महाज होंगे। चिरैया तुम आंगन की, मुकाबले में बाज होंगे।Ó रचना प्रस्तुत कर बेटियों को संघर्ष और जिंदगी की तल्ख हकीकत से रूबरू कराया।
इस दौरान विद्यार्थियों ने भी महिला सशक्तिकरण के विषय पर विचार व्यक्त किए। कॉलेज निदेशक तरूण विजय ने राजस्थान पत्रिका के सामाजिक सरोकारों की सराहना करते हुए आभार जताया। उन्होंने कहा कि राजस्थान पत्रिका न केवल निष्पक्ष समाचारों के जरिए बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी विभिन्न आयोजन कर जागरुकता के प्रयास भी निरंतर करती रहती है। गोष्ठी में बेबी हैप्पी बीएड कॉलेज की प्राचार्य डॉ. संतोष बंसल, एडवोकेट नितिन छाबड़ा एवं रामनिवास मांडण बतौर अतिथि मौजूद रहे। गोष्ठी में बीएड एवं बीएसटीसी विद्यार्थियों ने संजीदा ढंग से शायरों को सुना एवं खूब दाद दी। छात्र अध्यापक वृंदावन मीणा ने ‘हूं तो मैं बेटी, आगे माता कहलाऊंगीÓ कविता से बेटियों की महिमा बताई।
कोख में कत्ल की तैयारियां…
शायर एवं गीतकार सुरेन्द्र सत्यम ने ‘जिंदगी की कुछ खेलनी है मुझको भी कुछ पारियां, क्यों हुई मां कोख में ही कत्ल की तैयारियां…।Ó गीत पेश कर कन्या भ्रूण के दर्द को जबान दी। अजन्मी की पीड़ा से रूबरू कराता यह गीत सुनकर श्रोता भी भावुक हो गए। इसी सिलसिले का सुरेन्द्र सत्यम ने दूसरा गीत ‘कचरे के ढेर पर, फेंकी गई थैलियों में, पिशाचों की नगरी से अलविदा हो रही हूंÓ पढ़कर खूब प्रशंसा बटोरी।
जब बेटियां दान होती है…
शायर प्रेम भटनेरी ने ‘वंश का कुल का मान होती हैं। बेटियां घर की शान होती हैं। गजल सुनाकर बेटियों की महता बताई। उनको ‘बेटियां मोमिनों के आंगन में, घर की पहली अजान होती हैंÓ तथा ‘टूट जाता है एक घर कुछ दिन, बेटियां जब भी दान होती हैंÓ शेर पर खूब वाहवाही मिली। भटनेरी ने बेटियों से निरंतर कड़ी मेहनत करते हुए और अपने फैसले खुद करते हुए आगे बढऩे की बात कही।

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