हापुड़ जिले के गांव धौलाना, साठा और चौरासी समेत अन्य गांव के सैकड़ों परिवार आज भी इस परंपरा को निभाते हुए आ रहे हैं। प्रत्येक वर्ष रक्षाबंधन के त्यौहार पर इनके यहां उड़द दाल की रोटी बनाई जाती है और बहनें अपने भाई की कलाई पर नहीं बल्कि लाठी पर रक्षा सूत्र यानी राखी बांधती हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार इन सभी 60 गांवों में महाराणा प्रताप के वंशज रहते हैं। चित्तौड़ के किले को खाली करने के बाद यह सभी वंशज यहां आकर बस गए थे। इनका सबसे पहला गांव ठहरा है जहां पर आकर सबसे ये लोग रात में ठहरे थे।
हापुड़ के गांव भुलानाॊ के रहने वाले विजय सिसौदिया के अनुसार उनका परिवार महाराणा प्रताप की 17वीं पीढ़ी है। 1576 में जब रानी महल में थी और अकबर ने चित्तौड़ का किला ढहाने के लिए हमला बोल दिया था, युद्ध चल रहा था और सभी योद्धा युद्ध में शामिल थे। चित्तौड़ के सभी योद्धाओं के रणभूमि में होने के चलते घर में कोई युवा नहीं था। उस समय रक्षा बंधन ( Raksha Bandhan ) पर बहनों ने रानी के कहने पर अपने भाईयों की लाठी काे रक्षा सूत्र बांधा था और माना था कि जब तक उनके भाई रणभूमि में हैं तब तक उनकी लाठियां घर पर उनकी रक्षा करेंगी। तभी से यह मान्यता चली आर ही है।